एक स्वस्थ मनुष्य ही हर प्रकार के कार्यों को करने में सक्षम हो पाता है और इसके लिए उसके शरीर को स्वस्थ रहना बहुत आवश्यक होता है। ठीक इसी प्रकार हमारी आत्मा को भी स्वस्थ रखने का एक सरल तरीका है सत्संग का श्रवण और श्री राम कथा। श्री राम कथा आत्मा को भोजन प्रदान करती है।
उक्त बातें सांवेर में सोमवार से प्रारम्भ हुई नौ दिवसीय श्रीराम कथा के प्रथम दिन पूज्य प्रेमभूषण जी महाराज (prembhushan ji maharaj) ने व्यासपीठ से कथा वाचन करते हुए कहीं। श्री रामकथा (Shri ram katha) के माध्यम से भारतीय और पूरी दुनिया के सनातन समाज में अलख जगाने के लिए सुप्रसिद्ध कथावाचक प्रेमभूषण जी महाराज ने कहा कि अगर जीवन में हमें आत्मिक सुख की प्राप्ति करनी है तो हमें श्री राम कथा का गायन, मनन और श्रवण जरूर करना चाहिए। यह आवश्यक नहीं है कि हम घंटों बैठकर से रामकथा सुने अगर हम मन लगाकर 20 मिनट भी कथा सुनते हैं तो यह हमें आत्मिक सुख की प्राप्ति कराती है।

पूज्य महाराज जी ने कहा कि मानस जी सरल ग्रंथ नहीं है। इनकी महिमा का बखान विभिन्न संतो ने बारंबार किया है। श्रीरामचरितमानस तुलसी दल के उस एक पत्ते के समान हैं जिनके बिना भगवान की पूजा अधूरी रह जाती है। ठीक है इसी प्रकार से कोई भी विद्वान कोई भी ग्रंथ पढ़ ले लेकिन अगर उसने मानस जी का पठन-पाठन नहीं किया तो उसकी यात्रा अधूरी रह जाती है।
कुछ श्री ने कहा कि ग्रंथ का तात्पर्य यह होता है कि वह साहित्य जो हमारे अंदर की ग्रंथियों को खोल दे। जब हम श्रेष्ठतम लक्ष्य के साथ ईमानदारी से प्रयास करते हैं तो ईश्वर भी हमारे कार्य को पूरा करने में सहयोगी बनते हैं। जीवन में कुछ भी पाना है तो हमें चलना तो अवश्य पड़ेगा।
पूज्यश्री ने कहा कि पिछले कई जन्मों के पुण्य का संग्रह हमें सनातन धर्म में जन्म लेने के का अवसर प्रदान करता है । इसे व्यर्थ ही नहीं गंवाना चाहिए और भटकना भी नहीं चाहिए। गायत्री मंत्र के जाप से अगर किसी की व्याधि नहीं जाती है तो वह किसी भी तंत्र या किसी अन्य उपाय से तो बिल्कुल ही नहीं जाएगी। मैं बार-बार कहता हूं कि सनातन धर्म में जन्म लेने के बाद अन्यत्र भटकने से बचें। भजन करने वाला या नहीं करने वाला दोनों की मृत्यु सुनिश्चित है। लेकिन जब हम पुराणों का दर्शन करते हैं तो वहां हमें पता चलता है कि भजन करने वाले को कभी भी नरक का दर्शन नहीं होता है। अर्थात नरक से मुक्ति मिल जाती है। भगत को ले जाने के लिए भगवान के दूत आते हैं ना कि यमदूत।
रामचरितमानस (Ramcharitamansa) में मनुष्य के जीवन जीने के लिए कई उपयुक्त और बहुत ही सटीक सिद्धांत निर्धारित किए गए हैं। इससे पूर्व कथा के लिए आयोजित कलश यात्रा में और फिर कथा श्रवण करने के लिय बड़ी संख्या में विशिष्ट जन उपस्थित रहे। हजारों की संख्या में उपस्थित श्रोतागण को महाराज जी के द्वारा गाए गए भजनों पर झूमते हुए देखा गया।
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