Chaitra Navratri 2025: कलश स्थापना के समय भूल से भी ना करें ये गलतियां, वरना बिगड़ सकते हैं काम

चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है, क्योंकि इसी से नववर्ष की शुरुआत होती है। इन नौ दिनों में भक्त मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा और व्रत रखते हैं। इस दौरान भूल कर भी यह गलतियां न करें वरना आपके कार्यों में भारी विघ्न आने की संभावनाएं हैं।

Abhishek Singh
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Chaitra Navratri 2025: हिंदू धर्म में नवरात्रि के नौ दिन अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माने जाते हैं। वर्ष में दो प्रमुख नवरात्रि होती हैं, जिनमें पहली चैत्र माह में पड़ती है। चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है क्योंकि इसी से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मा जी ने इसी माह में सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी। इन नौ दिनों में भक्त आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं।

इस साल नवरात्रि की सही तिथि और शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि 29 मार्च 2025 को शाम 4:27 बजे से प्रारंभ होगी और 30 मार्च को दोपहर 12:49 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 30 मार्च से मानी जाएगी, जबकि इसका समापन 7 अप्रैल 2025 को होगा।

क्या कहती हैं धार्मिक मान्यताएं?

नवरात्रि में भक्तों द्वारा की गई पूजा और व्रत से माता अत्यंत प्रसन्न होती हैं और अपनी विशेष कृपा बरसाती हैं। इन नौ दिनों में भक्तों की भक्ति से माता संकटों से रक्षा करती हैं और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। जो भी श्रद्धा भाव से व्रत और पूजन करता है, उसके जीवन में खुशहाली आती है और धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती। नवरात्रि के पहले दिन विधिपूर्वक कलश स्थापना की जाती है, जिसे शास्त्रों में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। धर्मशास्त्रों के अनुसार, कलश स्थापना के दौरान किसी भी प्रकार की भूल करने से माता दुर्गा अप्रसन्न हो सकती हैं। आइए जानते हैं कि कलश स्थापना करते समय किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

कलश स्थापना के दौरान इन गलतियों से बचें

नवरात्रि के पहले दिन खंडित या क्षतिग्रस्त कलश का उपयोग न करें। कलश स्थापना के लिए स्वच्छ जल का ही प्रयोग करें और मिट्टी भी सही स्थान से लाएं। कलश को केवल उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में ही स्थापित करें, अन्य किसी दिशा में रखने से बचें। एक बार कलश स्थापित करने के बाद उसे न हटाएं और नौ दिनों तक उसे न हिलाएं। साथ ही, व्रत और कलश स्थापना के बाद नवरात्रि के दौरान दिन में सोने से बचें और माता के भजन-कीर्तन में समय व्यतीत करें।

कलश स्थापना का सही मुहूर्त और विधि

पंचांग के अनुसार, इस वर्ष चैत्र नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6:13 से 10:22 तक रहेगा, जिसमें भक्तों को कलश स्थापित करने के लिए कुल 4 घंटे 8 मिनट मिलेंगे। इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:01 से 12:50 तक रहेगा, जिसमें भक्तों के पास 50 मिनट का समय होगा।