Budhaditya Rajyog : ज्योतिष शास्त्र में हर ग्रह की अपनी एक विशेष भूमिका होती है। सभी ग्रहों में सूर्य को राजा और बुध को राजकुमार का दर्जा दिया गया है। सूर्य जहां आत्मा, पिता और नेतृत्व क्षमता के प्रतीक माने जाते हैं, वहीं बुध बुद्धिमत्ता, संचार, तर्कशक्ति, गणित और व्यापार का प्रतिनिधित्व करते हैं। जब ये दोनों ग्रह एक साथ किसी राशि में विराजमान होते हैं, तो ‘बुधादित्य राजयोग’ का निर्माण होता है। यह योग जीवन में धन, यश, मान-सम्मान और सफलता लाने वाला माना जाता है।
सूर्य-बुध की युति से बनेगा बुधादित्य राजयोग
वर्तमान समय में सूर्य कर्क राशि में विराजमान हैं और 16 अगस्त 2025 को वे कन्या राशि में प्रवेश करेंगे, जहां वे 17 सितंबर तक रहेंगे। वहीं, बुध 30 अगस्त को कर्क राशि से निकलकर सिंह राशि में प्रवेश करेंगे। इसके बाद दोनों ग्रह कन्या राशि में एक साथ आकर बुधादित्य राजयोग का निर्माण करेंगे।
इन तीन राशियों की चमकेगी किस्मत…
सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों के लिए सूर्य और बुध का मिलन वरदान साबित हो सकता है। यह योग करियर में नए अवसरों के द्वार खोलेगा। आपका आत्मबल और आत्मविश्वास दोनों बढ़ेंगे। विवाह योग्य जातकों को अच्छे प्रस्ताव मिल सकते हैं और वैवाहिक जीवन भी सुखद रहेगा। समाज में मान-सम्मान प्राप्त होगा, और नौकरीपेशा लोगों को नई जिम्मेदारियों के साथ पदोन्नति का योग भी बन रहा है।
तुला राशि
तुला राशि के जातकों को इस राजयोग से व्यवसाय और आय में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। व्यापारियों को मुनाफा होगा और निवेश के क्षेत्र से भी लाभ मिल सकता है। शेयर बाजार, सट्टा और लॉटरी में भी किस्मत साथ दे सकती है। इसके साथ ही आत्मविश्वास में इज़ाफा होगा, और पारिवारिक जीवन में भी खुशहाली बनी रहेगी। धन आगमन के नए स्रोत खुल सकते हैं।
धनु राशि
धनु राशि वालों के लिए बुधादित्य राजयोग अत्यंत शुभ साबित हो सकता है। किस्मत आपका साथ देगी, और रुके हुए कामों में तेजी आएगी। विद्यार्थियों के लिए यह समय सफलता दिलाने वाला हो सकता है। नौकरी में वेतन वृद्धि और प्रमोशन के योग बनेंगे। कारोबारी वर्ग को देश-विदेश की यात्रा का लाभ मिल सकता है। उच्च शिक्षा या प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे लोगों के लिए भी यह योग अनुकूल है।
बुधादित्य राजयोग कब और कैसे बनता है?
बुधादित्य योग का निर्माण तब होता है जब सूर्य (जिसे ‘आदित्य’ कहा गया है) और बुध किसी एक ही राशि में एक साथ आ जाते हैं। यह युति कुंडली के जिस भाव में होती है, उस भाव को मजबूत करती है और व्यक्ति को बुद्धि, धन, वैभव, सुख-सुविधाएं, और सामाजिक प्रतिष्ठा का लाभ देती है। कुंडली में यदि यह योग केंद्र भाव (1, 4, 7, 10) में बन रहा हो, तो यह और भी अधिक प्रभावशाली हो जाता है।
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