सहस्रधारा का कायाकल्प भारतीय खिलाड़ियों के लिए वरदान– कैनोए स्लालोम एथलीट प्रद्युम्न

mukti_gupta
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इंदौर के एमिरेल्ड इंटरनेशल स्कूल में पढ़ने वाले प्रदयुम्न सिंह राठौर, जो कि मध्यप्रदेश की वाटर स्लालोम टीम में शामिल हैं, का कहना है कि मध्यप्रदेश को खेलो इंडिया यूथ गेम्स की मेजबानी मिलने के बाद महेश्वर के सहस्रधारा की तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। अब वाटर स्लालोम का यह वैन्यू विश्व स्तरीय हो चुका है और आने वाले समय में इस खेल से जुड़े भारतीय एथलीटों को बहुत फायदा होने वाला है।

उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश सरकार ने छह साल पहले घोषणा की थी कि महेश्वर अब भारत का पहला वाटर स्लालोम सेंटर बन गया है। राज्य की खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया की देखरेख में तब से लेकर आज तक इस आयोजन स्थल में काफी सुधार हुआ है। कई इंटरनेशनल इवेंट्स में हिस्सा ले चुके प्रद्युम्न पहली बार खेलो इंडिया में हिस्सा ले रहे हैं। वैसे वह कई इंटरनेशनल इवेंट्स में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, लेकिन चूंकी वाटर स्पोर्ट्स (कैनोइं, कयाकिंग और वाटर स्लालोम) को पहली बार खेलो इंडिया यूथ गेम्स में पहली बार शामिल किया गाय है, लिहाजा वह भी इन खेलों में डेब्यू कर सके हैं।

चार साल पहले इस खेल को चुनने वाले प्रद्युम्न पांच इंटरनेशनल इवेंट्स में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इनमें तीन विश्व कप जो कि स्पेन, इटली और जर्मनी में आयोजित किए गए थे, शामिल हैं। साथ ही वह ईरान और थाईलैंड में आयोजित दो एशियन चैंपियनशिप में भी हिस्सा ले चुके हैं। प्रदयुम्न कहते हैं, थाइलैंड में मैं जूनियर केटेगरी में ओवरआल चौथे स्थान पर रहा था। ईरान में यंगेस्ट प्लेअर आफ द कांटीनेंट का अवार्ड मिला था, जो मेरे लिए बहुत बड़ा पुरस्कार था। स्पेन इटली और जर्मनी में आयोजित विश्व कप में मेरा भारत की तरफ से अभी तक का बेस्ट परफोर्मेस था।

महेश्वर में मौजूद सुविधाओं के बारे में प्रदयुम्न कहते हैं, यह वेन्यू अब इंटरनेशनल स्टैंडर्ड का हो चुका है। इसमें काफी सुधार हुआ था। पहले यहां काफी पत्थर थे। नदी तक आने में काफी दिक्कत होती थी। अब यहां सबकुछ अच्छा है। बोट को नदी तक लाने में काफी आसानी होती है और इस कारण हमारा काफी समय और एनर्जी बचता है, जिसे हम अपने खेल में लगा सकते हैं और अपने परफार्मेंस और टाइमिंग को बेटर कर सकते हैं। खेलो इंडिया को लेकर प्रद्युम्न ने कहा, खेलो इंडिया एक शानदार मंच है। यहां की व्यवस्था विश्वस्तरीय है। हम पहली बार खेलो इंडिया में हिस्सा ले रहे हैं और यहां की व्यवस्था को विश्व कप और एशियन चैंपियनशिप जैसे आयोजन स्थलों जैसा कह सकते हैं।

क्या है वाटर स्लालोम

इसे केनोए स्लालोम भी कहा जाता है। इसका आयोजन रनिंग वाटर में होता है, जिसे व्हाइट वाटर भी कहा जाता है। इसमें कोर्स पर दो गेट होते है। एक हरा जो पानी के बहाव के साथ बना होता है और दूसरा लाल जो पानी के बहाव की विपरीत दिशा में बना होत है। स्टार्ट ग्रीन गेट से होता है और रेस रेड गेट से होते हुए समाप्त होती है। इसमें कोर्स की लंबाई 250 से 300 मीटर होती है। इसमें कुल 18 से 25 गेट्स डाले जाते हैं, जिनमें कम से कम 6 अपस्ट्रीम गेट्स डाले जाते हैं। खिलाड़ी को दो तरह की पेनाल्टी से बचना होता है। अगर कोई खिलाड़ी गेट्स की पिन को छूता है तो उसकी रनिंग टाइम में से 2 सेकेंड जोड़ दिया जाता है और अगर आप किसी गेट को मिस करते हें तो फिर आपके टाइम में 50 सेकेंड जोड़ दिए जाते है। जब आप फिनिश लाइन तक पहुंचते हैं तो आपके स्कोर में पेनाल्डी जोड़ी जाएगी और फिर आपका फाइनल स्कोर आएगा। इस इवेंट का आयोजन हीट्स, सेमीफाइनल और फाइनल फारमेट में होता है।