अरविंद तिवारी
बात यहां से शुरू करते हैं
आखिर क्या कारण है के मध्य प्रदेश भाजपा के कई दिग्गज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात को सामान्य मुलाकात के रूप में नहीं ले रहे हैं। इन दिग्गजों का कहना है कि यह मुलाकात आने वाले समय की मध्य प्रदेश की सियासत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और इसका नतीजा महीने 2 महीने बाद देखने को मिले तो चौंकिए मत। वैसे भी नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बारे में यह कहा जाता है वे अभी जो तय करते हैं उसका नतीजा कुछ समय बाद ही देखने को मिलता है। देखते हैं उनका यह नजरिया मध्य प्रदेश पर लागू होता है या नहीं।
🚥 संघ के बेहद अनुशासित स्वयंसेवक रहे पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी का अचानक मुखर होना समझ में नहीं आ रहा। सोलंकी के दो ट्वीट जिसमें उन्होंने व्यवस्था से जुड़े कुछ मुद्दों को उठाकर अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा किया है इन दिनों राजनीतिक हलकों में बहुत चर्चा में है। मध्य प्रदेश भाजपा में एक समय सारे सूत्र अपने हाथ में रखने वाले सोलंकी थोड़े खफा तो उसी समय से थे जब उन्हें हरियाणा जैसे बड़े राज्य से हटाकर त्रिपुरा भेज दिया गया था। सोलंकी की हालिया नाराजगी का पता लगाने में दिल्ली और भोपाल दोनों लगे हुए हैं।
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🚥 कुछ साल पहले मध्य प्रदेश सरकार की मान मनुहार के बाद इंदौर में अपने संस्थान लाने वाले टीसीएस और इंफोसिस जैसी विश्व विख्यात समूह को आखिरकार प्रदेश के एमएसएमई और आईटी मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा ने साध ही लिया। दरअसल सरकार से रियायत दर पर जमीन लेने और फिर वादे के मुताबिक मध्य प्रदेश के युवाओं को रोजगार उपलब्ध नहीं कराने के मुद्दे पर यह कंपनियां इंदौर के जिला प्रशासन के निशाने पर आ गई। जिस अंदाज में प्रशासन ने अपने तेवर दिखाए थे उससे इनके प्रबंधन का चौंकना स्वाभाविक था। बात बिगड़ती इसके पहले ही सकलेचा ने दोनों संस्थानों पर दस्तक दी और पुरानी बातें भुलाकर आने वाले समय में वादे से ज्यादा रोजगार देने के लिए इन्हें राजी कर लिया।
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🚥 मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेहद खासमखास भोपाल के पूर्व महापौर आलोक शर्मा को लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने जो निर्णय लिया है वह कम चौंकाने वाला नहीं है। अपने पदाधिकारियों के बीच कार्य विभाजन करते हुए वीडी ने शर्मा को इंदौर, भोपाल, ग्वालियर या जबलपुर जैसे किसी बड़े संभाग या युवा मोर्चा तथा महिला मोर्चा जैसे किसी प्रमुख मोर्चा संगठन का प्रभारी बनाने की वजह झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ तक सीमित कर दिया। शर्मा के इस निर्णय को आखिर क्या माना जाए।
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🚥 बीते सप्ताह कमलनाथ अरुण यादव की दिल्ली में दो बार मुलाकात हुई। इसके बाद यादव खेमे की ओर से सोशल मीडिया पर यह बात बहुत दमदारी के साथ आगे बढ़ाई गई की अब सारे गिले-शिकवे दूर और भैया का खंडवा से उप चुनाव लड़ना तय हो गया। खुद यादव ने भी ऐसे ही संकेत अपने कुछ खास समर्थकों को दिए और क्षेत्र में सक्रिय होने के लिए कहा। पर कमलनाथ अभी भी मौन है और इस बार उनका तर्क बड़ा अजीब है। उनका कहना है कि पहले उपचुनाव की घोषणा तो हो जाये फिर हम उम्मीदवार का फैसला करें। यह है साहब का एक नया दांव जिसे समझने में अभी कुछ समय लगेगा।
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🚥 संकट के मौके पर कमजोर अफसर अक्सर सरकार के लिए परेशानी का सबब बन जाते हैं। श्योपुर जिले में बारिश के बाद जो हालात निर्मित हुए और जिस तरह की अप्रिय स्थिति का सामना केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को अपने ही संसदीय क्षेत्र में करना पड़ा वह इसी का नतीजा है। जब राकेश श्रीवास्तव को वहां कलेक्टर बनाया गया था तो यह माना गया था कि तोमर की पसंद के चलते ही सरकार में उन्हें वहां भेजा है। श्रीवास्तव कैसे अफसर हैं यह किसी से छुपा हुआ नहीं है। जब श्योपुर में हालात बिगड़े और उसके बाद उनकी जो भूमिका रही उसी के कारण वहां सरकार की परेशानी बढ़ी और तोमर को संभवत पहली बार ऐसी स्थिति से रूबरू होना पड़ा। खैर अब वहां कलेक्टर तो नहीं पर तोमर की पसंद के तेजतर्रार एसपी जरूर पोस्ट हो गए हैं।
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🚥 इंदौर में शराब सिंडिकेट के दफ्तर में हुए गोलीकांड के बाद जिस तेजी से इस सिंडिकेट के सरगना केपी सिंह और पिंटू भाटिया की तलाश पुलिस ने शुरू की थी उसी तेजी से पुलिस अब इन दोनों को भूलती भी जा रही है। जो कहानी सामने आ रही है वह यह है कि मध्य प्रदेश के नेताओं द्वारा हाथ खड़े किए जाने के बाद केपी सिंह ने अपने दिल्ली के संपर्कों का उपयोग किया। वहां से जिस भी माध्यम से इंदौर पुलिस तक जो संदेश पहुंचा उसी का नतीजा है कि इन दोनों शराब कारोबारियों को लेकर पुलिस अब ठंडी पड़ती नजर आ रही है। वैसे सिंह के नजदीकी लोग यह जरूर कह रहे हैं कि इस बार मध्य प्रदेश के बजाय उत्तर प्रदेश के संबंध ज्यादा काम आए।
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🚥 मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के बाद यदि मंत्रालय में किसी अफसर की सबसे ज्यादा तूती बोल रही है तो वह है बेहद मेहनती, संवाद में दक्ष, तेज तर्रार और सबको साथ लेकर चलने वाले एसीएस होम डॉ राजेश राजौरा। इसके पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि डॉ राजोरा को पिछले 10 साल सरकार ने जो भी काम सौंपा वहां वह बहुत अच्छा नतीजा देने में सफल रहें है। होम जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय में उनकी भूमिका इस दौर में इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और होम मिनिस्टर डॉ नरोत्तम मिश्रा के बीच एक कड़ी के रूप में काम करना कोई आसान काम नहीं है।
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🚶🏼♀️ चलते चलते🚶🏼♀️
ऐसी चर्चा है कि अस्वस्थता के चलते जी श्रीनिवास राव ने एडीजी प्रशासन जैसे भारी-भरकम दायित्व से मुक्त करने का आग्रह डीजीपी से किया है। वैसे इस पद के लिए दावेदार एडीजी स्तर के अफसरों की लंबी कतार है।
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🚨 पुछल्ला
जरा अनुमान लगाइए कि धार के नए एसपी का फैसला किसकी पसंद पर होगा। राज्य के उद्योग मंत्री राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव या फिर लिकर किंग नन्हे सिंह। देखते हैं किसकी चलती है।
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🎴 अब बात मीडिया की
♦️ नई दुनिया इंदौर के संपादक कौशल किशोर शुक्ला इन दिनों स्टाफ की मीटिंग में मातहतो के सामने जिस तरह के शब्दों का उपयोग राज्य संपादक सद्गुरु शरण को लेकर करते हैं उससे तो यही समझा जा सकता है कि यहां हालात बहुत बिगड़े हुए हैं।
♦️ तेजतर्रार और एयरपोर्ट व आरटीओ बीट के विशेषज्ञ माने जाने वाले सीनियर रिपोर्टर विकास सिंह राठौर अब टीम अग्निबाण का हिस्सा हो गए हैं।
♦️ लंबे समय से दबंग दुनिया में सेवाएं दे रहे क्राइम रिपोर्टर कपिल राठौर अब भास्कर डिजिटल के साथ होंगे।
♦️ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की सक्रिय रिपोर्टर खुशबू यादव अब स्वराज एक्सप्रेस में रिपोर्टर की भूमिका में आ गई है।
♦️ बीटीवी हैथवे में लंबे समय से सीनियर कैमरामैन की भूमिका निभा रहे शैलेंद्र गुर्जर ने अब नई भूमिका निभाने का निर्णय लिया है। वे संभवत सरकारी नौकरी में रहेंगे।