राजस्थान में एक बेहद शर्मनाक मामला सामने आया है। जहाँ 8 से 18 साल की लड़कियां स्टाम्प पेपर पर बेची जा रही हैं और अगर इसका कोई विरोध करता है तो बेटियों की मां के साथ रेप करने का आदेश दिया जाता है। इस बात का खुलासा होने के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है।
मामला राज्य के भीलवाड़ा जिले के पंडेर और अन्य गांवों में दो पक्षों के बीच हुए विवाद से निपटने के लिए पुलिस के पास जाने के बजाए जाति परिषदों की बैठक बुलाई जाती है। इस बैठक में दोषियों के ऊपर भारी-भरकम जुर्माना लगाया जाता है और कर्ज माफ करने के लिए उनके घर की बहन-बेटियों को बेचने और उनकी माताओं के साथ रेप करने का भी आदेश दिया जाता है।
शख्स को बेटी और बहन को बेचने के लिए किया गया मजबूर
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जाति परिषद ने एक व्यक्ति को 15 लाख रुपये का कर्ज चुकाने के लिए अपनी बहन और 12 वर्षीय बेटी को बेचने के लिए मजबूर किया। वहीं, एक अन्य व्यक्ति को पत्नी के इलाज के लिए छह लाख का भुगतान करना था, जिसके लिए उसे अपनी बेटी और घर को बेचने के लिए मजबूर किया गया। बेटी को आगरा ले जाया गया, जहां उसे तीन बार और बेचा गया। इस बीच वह चार बार गर्भवती हुई।
आयोग ने नोटिस के जरिये माँगा जवाब
आयोग ने मीडिया रिपोर्ट के आधार पर आयोग ने राजस्थान सरकार को नोटिस में लिखा कि राजस्थान के आधा दर्जन जिलों में लड़कियों को स्टाम्प पेपर पर बेचा जाता है तथा विवादों के निपटारे के लिए जाति पंचायतों के फरमान पर उनकी माताओं के साथ बलात्कार किया जाता है। कथित तौर पर, जब भी दोनों पक्षों के बीच विशेष रूप से वित्तीय लेनदेन और ऋण आदि को लेकर कोई विवाद होता है, तो पैसे की वसूली के लिए 8-18 वर्ष की आयु की लड़कियों की नीलामी की जाती है। इन लड़कियों को यूपी, एमपी, मुंबई, दिल्ली और यहां तक कि विदेशों में भेजा जा रहा है और गुलामी में शारीरिक शोषण, प्रताड़ना और यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया जा रहा है।
आयोग ने नोटिस के माध्यम से रिपोर्ट में जवाब मांगा है कि राज्य सरकार कैसे संवैधानिक प्रावधानों या पंचायती राज कानून के अनुसार ग्राम पंचायत के कार्यों को सुनिश्चित कर रही है ताकि राज्य में लड़कियों और महिलाओं के मानव अधिकारों और गरिमा के अधिकार को प्रभावित करने वाली जाति आधारित व्यवस्था को समाप्त किया जा सके।
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कथित तौर पर, भीलवाड़ा में, जब भी दोनों पक्षों के बीच कोई विवाद होता है, तो वे पुलिस के पास जाने के बजाय, इसके निपटारे के लिए जाति पंचायतों से संपर्क करते हैं और यह लड़कियों को ग़ुलाम बनाने का शुरुआती बिंदु बन जाता है, अगर वे उन्हें बेच नहीं पाते हैं तो, उनकी माताओं के साथ बलात्कार करने का आदेश दिया जाता है।