चंडीगढ़ : पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव (Punjab Elections 2022) के समर में उतरी सभी सभी राजनीतिक पार्टियों (political parties) ने अपनी ताकत झोंक दी है लेकिन बीते जमाने में यहां ऐसे भी राजनेता(Politicians Of Punjab) रहे है जिन्होंने अपने कार्यों से पंजाब की शान में बढ़ोतरी की है। पंजाब के पूर्व परिवहन मंत्री मा. मोहनलाल लिखते है कि पंजाब की राजनीति का परिदृश्य बार-बार बदलता रहा है।
वे 1967 के राजनेताओं को याद करते हुए बताते है कि मास्टर तारा सिंह, संत फतेह सिंह, जत्थेदार टोहरा, जस्टिस गुरनाम सिंह, सरदार लक्ष्मणसिंह गिल आदि शिरोमणि अकाली दल की शान हुआ करते थे। जनसंघ में डॉ. बलदेव प्रकाश, बलरामदास टंडन, वीर यज्ञदत्त शर्मा, बाबू हिताभिलाषी, लाला लाजपत राय, विश्वनाथन, हरबंसलाल खन्ना आदि भी अपनी राजनीति से पंजाब का नाम रोशन करते रहे है। कुल मिलाकर पंजाब की राजनीति में दो धु्रवों के बीच प्रतिद्वंदिता होती रही है।
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किसान आंदोलन के रथ पर सवार है कांग्रेस
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फिलहाल पंजाब में कांग्रेस का राज है और इस विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस जीत का परचम फहराकर फिर से सत्ता में काबिज होने का ख्वाब देख रही है। राजनीति के मर्मज्ञ यह लिखते है कि सूबे में कांग्रेस का वर्तमान कार्यकाल निराशाजनक ही कहा जाएगा। यदि इस बार फिर से चुनाव जीतकर कांग्रेस सत्तासीन होती है तो अन्य सभी राजनीतिक दलों के लिए वह कालखंड ओर अधिक निराशाजनक सिद्ध हो सकता है। मौजूदा समय में कांग्रेस किसान आंदोलन के रथ पर सवार है, परंतु कांग्रेस यह नहीं समझ रही है कि राजनीति क्षण क्षण बदलती रहती है।