नितिनमोहन शर्मा
स्व अल्हड़ सिंह उस्ताद की आत्मा भी ये नज़ारा देख गदगद हो रही होगी। होगी भी क्यो नही? क्या था यहां… जहा आज चारो तरफ उत्सव पसरा है। बियाबान जंगल बस। आबादी के नाम पर शून्य। न सुदामा नगर और न उषा नगर-द्रविड़ नगर, न गुमाश्ता नगर व स्कीम नम्बर 71..!! दरबार के नाम पर महाबली रणजीत सरकार बस। एक कुआँ। जल से लबालब। एक राम दरबार। एक शिव दरबार।
आम के घने पेड़। बगल में लाल मिट्टी का अखाड़ा। इसी अखाड़े में अल्हड़ सिंह उस्ताद का पसीना बहता था। बाबा के समक्ष तब गिनती के लोग पहुचते थे। महू नाका के पार कुछ था तो वो रणजीत दरबार ही था और थी फूटी कोठी-हवा बंगला। जिगरे वाले लोग फूटी कोठी और हवा बंगला तक आया जाया करते थे। उस जमाने मे तो फूटी कोठी जा कर आने वाले बहादुर माने जाते थे। आज जैसी रंगत और रौनक की तो कल्पना भी उस वक्त नही थी।
ये सब आपके मेरे रणजीत सरकार का शुभाशीष का प्रतिफल है। बाबा का आशीर्वाद ऐसा बरसा जो आज पूरा इलाका लकदक कर रहा है। सघन आबादी इलाका। व्यावसायिक केंद्र। वैभवशाली उत्सव और भव्य बाबा का दरबार। हजारों की संख्या में रोज उमड़ते भक्त। प्रभातफेरी में जुटते लाखों श्रद्धालुओं का सैलाब। हर तरफ गूंजते जय रणजीत के जयघोष।
जग में जीत देने वाले बाबा रणजीत का दरबार बुधवार को हजारों दीपकों की रोशनी से जगमगा गया। भजन संध्या की स्वर लहरियां भी आधी रात तक गूंजती रही। आज दरबार के सभी विग्रह सजाए जाएंगे। कल यानी शुक्रवार को रणजीत सरकार प्रभातफेरी के रूप में नगर भृमण पर निकलेंगे। भक्तों ने पलक पाँवड़े अभी से बिछा दिए है। पूरा क्षेत्र दुल्हन जैसा सजा है। बस इंतजार है उस ब्रह्ममहुर्त का, जब जग में जीत दिलाने वाले बाबा रणजीत सरकार लाल लँगोटो और हाथ मे सोटा लिए आशीर्वाद देने निकलेंगे।