शनि को न्याय और कर्मफल का देवता माना जाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार शनि के नाराज होने से व्यक्ति के जीवन पर गहरा असर पड़ता है। शनिदेव प्रसन्न होते हैं तो बिगड़े हुए काम बन जाते हैं और सफलता भी प्राप्त होती है। शनि देव की कृपा न हो तो कोई काम सफल नहीं हो पाता है ना ही शादी , ना ही संतान, और ना ही धन की प्राप्ति हो पाती है।
शनि का स्वभाव कठोर है, जिस वजह से शनिदेव के बुरे प्रभाव से लोग भयभीत रहते हैं। शनि देव के बुरे प्रभाव से बचने के लिए व्यक्ति को अच्छे कर्म करने चाहिए। वहीं ज्योतिष के अनुसार ऐसा जरूरी नहीं कि शनि हमेशा परेशान ही करें। अगर आपकी कुंडली में शनि मजबूत हैं तो शनि की दशा आपके लिए विशेष रूप से फलदायी साबित होगी।
वहीं अगर शनि कमजोर हैं तो शनि की दशा के दौरान तमाम कष्टों का सामना करना पड़ेगा। लेकिन ज्योतिष अनुसार कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन पर शनि की विशेष कृपा रहती है। जिस कारण इन्हें शनि साढ़े साती (Shani Sade Sati) और शनि ढैय्या (Shani Dhaiya) के दौरान कष्टों का सामना नहीं करना पड़ता।
शनि अपनी उच्च राशि तुला के लोगों को उतना परेशान नहीं करते। क्योंकि इस राशि वालों पर शनि की विशेष कृपा रहती है। इसलिए शनि की दशा इनके लिए उतनी कष्टदायी नहीं होती जितनी बाकी राशि वालों के लिए होती है। इसी तरह शनि मकर और कुंभ राशि के जातकों को भी परेशान नहीं करते। क्योंकि ये दोनों ही राशियों के स्वामी ग्रह हैं। अपनी दशा के दौरान शनि इन्हें काफी लाभ भी पहुंचाते हैं।
अगर शनि साढ़े साती के दौरान अगर किसी व्यक्ति पर किसी शुभ ग्रह की दशा चल रही हो तो भी शनि परेशान नहीं कर पाते। शनि ऐसे लोगों से मेहनत तो खूब कराएंगे लेकिन लाभ भी जरूर देंगे। यदि जन्मकुंडली में चंद्रमा कर्क राशि में हो और शनि का प्रभाव कम हो तो साढ़ेसाती के दौरान व्यक्ति को शनि परेशान नहीं कर पाते। अगर बलवान चंद्रमा की दशा चल रही हो तो व्यक्ति को शनि साढ़े साती या ढैय्या से नुकसान होने की बजाय लाभ प्राप्त होने के आसार रहेंगे।
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