Navratri 2025 : हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व विशेष आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दौरान भक्त नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना करते हैं। शास्त्रों में वर्णित है कि देवी को भोग अर्पित करना साधना का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
भोग लगाने से न केवल मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं बल्कि साधक के पाप कर्म भी नष्ट होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। खासतौर पर तीन फल ऐसे बताए गए हैं, जिनका नवरात्रि के दौरान विशेष महत्व माना गया है।
अनार
नवरात्रि में माता रानी को अनार अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। अनार को समृद्धि, संतान सुख और अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक बताया गया है। मान्यता है कि श्रद्धापूर्वक अनार चढ़ाने से घर में खुशियां बढ़ती हैं, संतान की प्रगति होती है और रोगों से मुक्ति मिलती है। यह फल देवी को अर्पित करने से दीर्घायु और सुखमय जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
नारियल
धार्मिक अनुष्ठानों में नारियल का विशेष महत्व है। इसे शुद्धता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। नवरात्रि में नारियल का भोग लगाने से साधक के जीवन से नकारात्मकता दूर होती है और आत्मबल प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार नारियल चढ़ाने से मां दुर्गा साधक को शक्ति, साहस और जीवन में नई ऊर्जा प्रदान करती हैं। यही कारण है कि हर शुभ कार्य में नारियल का प्रयोग अनिवार्य माना गया है।
केला
केला ऐसा फल है जिसे स्थायित्व और सौभाग्य से जोड़ा गया है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा को केला अर्पित करने से घर-परिवार में स्थिरता आती है और धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। मान्यता यह भी है कि यह फल देवी लक्ष्मी को प्रिय है। इसलिए नवरात्रि में केला चढ़ाने से साधक को न केवल दुर्गा माता का आशीर्वाद मिलता है बल्कि माता लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है।
नवरात्रि में तीन फलों का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, यदि नवरात्रि के नौ दिनों में श्रद्धा और विश्वास के साथ अनार, नारियल और केला माता को अर्पित किए जाएं, तो साधक को देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। ये फल न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्व रखते हैं बल्कि जीवन में समृद्धि, शक्ति और सौभाग्य का मार्ग भी खोलते हैं।
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