Udaipur Royal family Dispute : शाही परिवार में वर्चस्व की जंग, राजा के एक फैसले ने दो युवराजों को कैसे बनाया दुश्मन?

srashti
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Udaipur Royal family Dispute

Udaipur Royal family Dispute : राजस्थान के उदयपुर में मेवाड़ राजघराने के दो प्रमुख युवराजों के बीच संपत्ति विवाद ने एक नया मोड़ लिया है, जिसके बाद यह विवाद अब पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। इस संघर्ष ने न केवल राजघराने के इतिहास को फिर से ताजा किया, बल्कि राजमहल के भीतर एक ऐसे घटनाक्रम को जन्म दिया, जिसने सिटी पैलेस में हिंसा और उपद्रव का रूप ले लिया।

चचेरे भाईयों के बीच उभरी खाई

मेवाड़ के महाराणा प्रताप के वंशजों के बीच चल रहे संपत्ति विवाद ने अब नया मोर्चा खोला है। विवाद की जड़ 1963 से 1983 के बीच की उस घटना में है, जब उदयपुर के अंतिम महाराणा, भगवत सिंह ने मेवाड़ की कई प्रॉपर्टी को लीज़ पर दे दिया था और कुछ संपत्तियों को बेच दिया था। इनमें जग निवास, जग मंदिर, लेक पैलेस, शिव निवास, सिटी पैलेस म्यूज़ियम जैसी ऐतिहासिक और बेशकीमती संपत्तियां शामिल थीं।

संपत्ति विवाद की शुरुआत

भगवत सिंह के इस फैसले से उनका बड़ा बेटा महेंद्र सिंह मेवाड़ नाराज हो गए और 1983 में उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया। महेंद्र सिंह का कहना था कि राजघराने की संपत्तियों को उनके बीच बराबरी से बांटा जाए, न कि “रूल ऑफ प्रीमोजेनीचर” के तहत सिर्फ बड़े बेटे को पूरा हक मिले। इस कानून के अनुसार, परिवार का बड़ा बेटा ही राजा बनने का हकदार था, और सारी संपत्तियां उसी के नाम होती थीं। भगवत सिंह ने इस पर अपनी नाराजगी जाहिर की और कोर्ट में यह तर्क दिया कि ये संपत्तियां अविभाज्य (इम्पोर्टेबल एस्टेट) हैं, जिनका बंटवारा नहीं हो सकता।

वसीयत और परिवार में और बढ़ता विवाद

1984 में, महाराणा भगवत सिंह ने अपनी वसीयत में छोटी बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ को संपत्तियों का एग्जीक्यूटर नियुक्त किया। इसके बाद, जब भगवत सिंह का निधन हुआ, तो महेंद्र सिंह के बड़े बेटे विश्वराज सिंह को महाराणा के तौर पर राजतिलक किया गया। हालांकि, उनके छोटे भाई अरविंद सिंह के परिवार को संपत्ति और ट्रस्ट से बाहर कर दिया गया। इस फैसले ने परिवार में और तनाव बढ़ा दिया और विवाद गहरा गया।

सिटी पैलेस में हुआ हंगामा

अभी हाल ही में, विवाद ने सिटी पैलेस में एक और उग्र मोड़ लिया, जब विश्वराज सिंह मेवाड़ ने अपनी सम्पत्ति के अधिकार को लेकर सिटी पैलेस में प्रवेश की कोशिश की। हालांकि, उन्हें सिटी पैलेस के गेट पर रोक लिया गया और गेट बंद कर दिया गया। इस दौरान उनके समर्थक भी उनके साथ थे, जिन्होंने गेट खोलने की कोशिश की, जिससे वहां उग्र प्रदर्शन हुआ। इस पर पुलिस ने हस्तक्षेप किया और समर्थकों पर पत्थर और बोतलें फेंकी गईं, जिसके कारण कई लोग घायल हो गए।

सिटी पैलेस के गेट बंद करने के बाद समर्थकों में भारी आक्रोश देखने को मिला, और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया। इस घटना का असर इतना बढ़ा कि यह रात के दो बजे तक चलता रहा, जब तक कि विश्वराज सिंह मेवाड़ को अपने निवास समर बाग लौटने के लिए मजबूर नहीं किया गया।