मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि भारतीय संस्कृति में गुरुजनों का स्थान सर्वोच्च है। गुरु शिक्षा के साथ ही ज्ञान का प्रसार भी करते हैं। वे अपने शिष्यों को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। गुरुजनों का सम्मान भारतीय परंपरा और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। गुरुजनों के सम्मान के लिए अब प्रदेश के हर स्कूल और कॉलेजों में गुरु पूर्णिमा का महापर्व हर वर्ष मनाया जाएगा। विद्यार्थियों को गुरुओं की महत्ता बताई जाएगी। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे इस आयोजन से जुड़े और गुरुओं के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करें।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आज इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के सभागृह में आयोजित गुरु पूर्णिमा के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, सांसद शंकर लालवानी, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, विधायक उषा ठाकुर, मालिनी गौड़, मधु वर्मा तथा गोलू शुक्ला, अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा के.सी. गुप्ता, संभागायुक्त दीपक सिंह, पुलिस कमिश्नर राकेश गुप्ता, कलेक्टर आशीष सिंह, गौरव रणदिवे, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलगुरु रेणु जैन, महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के पूर्व कुलगुरु मिथिला प्रसाद त्रिपाठी भी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए महाभारत के अनेक प्रसंगों का उल्लेख करते हुए गुरु शिष्य परम्पराओं का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि गुरु शिक्षा के साथ ही ज्ञान भी देते हैं। वे अन्याय एवं अधर्म से लड़ना सिखातें हैं। जीवन जीने की कला बताते हैं। गुरू शिक्षा और ज्ञान का दान करते हैं। इस कार्य में वे अपने कष्टों को भी बाधा नहीं बनने देते हैं। गुरु का साथ मिलते ही शिष्य के जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है और वह सफतलता की ऊंचाईयों को प्राप्त करने लगता है। उन्होंने कहा कि गुरु परम्परा समुचित मानवता को धन्य करने की परम्परा है।
उन्होंने आचार्य सांदीपनि का उल्लेख विशेष रूप से करते हुए कहा कि गुरुजन राष्ट्रवादी सोच का प्रवाह अपने शिष्यों में करते हैं। आचार्य सांदीपनि इसका बेहतर उदाहरण है। आचार्य सांदीपनि ने अपने ज्ञान से राष्ट्र निर्माण और अपने राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव सिखाया है। गुरुओं का महत्व सबके के सामने आना चाहिए इसके लिये हमने अब प्रदेश में हर वर्ष स्कूल और कॉलेजों में गुरु पूर्णिमा का महापर्व पूर्ण आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि भारत देश को अपने ज्ञान के आधार पर ही विश्व गुरु का दर्जा मिला है।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के पूर्व कुलगुरु श्री मिथिला प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि गुरुओं का जीवन में अक्षुण्ण महत्व है। गुरु अंतस के अंधकार को भी मिटाता है। गुरु अपना सब कुछ शिष्य को दे देता है। गुरु शिष्य में प्रतिबिंबित होते हैं। गुरु ज्ञान के साथ ही संस्कार एवं जीवन मूल्य भी सिखाते हैं। गुरुओं के महत्व को बताने के लिये राज्य शासन द्वारा हर वर्ष गुरु पूर्णिमा का महापर्व मनाये जाने का निर्णय सराहनीय है।
भारतीय परंपरा में गुरु शिष्य संबंधों की महत्ता पर अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा के.सी. गुप्ता ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम के प्रारंभ में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलगुरु प्रो. रेणु जैन ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय सहित अन्य विश्वविद्यालयों के पूर्व कुलगुरूओं एवं शिक्षक गणों का सम्मान भी किया गया। साथ ही गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को भी सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भारतीय गणित पर लिखित पुस्तकों का विमोचन भी किया। कार्यक्रम में उन्होंने मोढ़ी लिपि को देवनागरी लिपि में परिवर्तित करने का
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आज गुरु पूर्णिमा के अवसर पर देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे। डॉ. यादव मंच से उतरकर गुरुजनों के बीच पहुंचे। उन्होंने सभागृह में मौजूद पूर्व कुलगुरूओं एवं शिक्षक गणों का पुष्प वर्षा कर सम्मान किया।