इंदौर : संयुक्त पिछड़ा वर्ग संघर्ष मोर्चा इंदौर संभाग के अध्यक्ष श्री नीरज राठौर ने कहा की प्रदेश के ओबीसी के प्रतिभावान छात्रों द्वारा हाईकोर्ट मे याचिका कर्मांक 8750/2022 दायर करके मौजूदा आरक्षण के नियमानुसार भर्ती किए जाने की मांग को लेकर दाखिल की गई थी जिसमे हाईकोर्ट द्वारा की जा रही 1255 पदो की भर्ती मे 50% अनारक्षित पद समान्य वर्ग के लिए आरक्षित कर दिए गए है जिसके कारण समान्य वर्ग अर्थात अनारक्षित वर्ग के अंको का कट आफ 73 अंक तथा ओबीसी का 87 अंक नियत किया गया.
उक्त 1255 पद मध्य प्रदेश विधि विभाग के है. उक्त याचिका की सुनवाई मे मध्य प्रदेश की सरकार की ओर से न तो कोई जबाब दाखिल किया गया और न ही महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने पक्ष रखा जिसके कारण ओबीसी के प्रतिभावान हजारो छात्र चयन से बंचित कर दिए गए है. हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश दिनांक 02.01.2023 के फैसले के विरूद्ध मध्य प्रदेश सरकार की ओर से कोई अपील भी नही की गई है.
लोक सेवा आयोग द्वारा 2019, 2020, 2021 तथा 2022 मे की जाने बाली हजारो नियुक्तियों मे ओबीसी को 27% आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है. राज्य सरकार द्वारा समान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी अधिसूचना दिनांक 29.9.2022 मे प्रदेश की समस्त भारतीयो मे ओबीसी को केवल 14% आरक्षण दिए जाने का संकल्प पारित किया गया है तथा 87% पदो पर ही नियुक्तीय की जा रही है.
राज्य सरकार के उक्त निर्णय के विरूद्ध हाईकोर्ट मे कई याचिए दायर हुई है जिसमे राज्य सरकार द्वारा पक्ष नहीं रखा गया तथा समस्त 50% अनारक्षित पदो पर ओबीसी/एसी/एसटी के प्रतिभावान छात्रों को चयन से भी बंचित कराए जाने का दिनांक 18/02/2023 को हाईकोर्ट से आदेश पारित करवाया गया है.
उक्त आदेश के विरूद्ध राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने कोई अपील नहीं की है. जो की दुर्भाग्यपूर्ण है
तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार ने दिनांक 30/6/2003 को ओबीसी के लिए 27% आरक्षण लागू किया गया था जिसके विरूद्ध हाईकोर्ट मे याचिका WPS/2798/2003 दाखिल की गई थी उक्त याचिका मे हाईकोर्ट द्वारा दिनांक 13/10/2014 को ओबीसी के 27% आरक्षण को निरस्त कर दिया गया था. उक्त याचिका मे पारित निर्णय के विरूद्ध बीजेपी सरकार द्वारा न तो रिट अपील की और न ही सूप्रीम कोर्ट मे कोई अपील. मध्य प्रदेश की वर्तमान राज्य सरकार आरक्षण विरोधी साबित हो चुकी है तथा ओबीसी के लाखो बेरोजगार युवाओ का जीवन बर्बाद कर रही है.