Gujarat: भारत के शहरों से प्रतिदिन लगभग 1.5 लाख टन ठोस कचरा निकलता है, जिसमें से केवल 25-28 प्रतिशत का ही प्रोसेस किया जाता है। बाकी कचरा या तो खुले में फेंका जाता है या जला दिया जाता है। यह अनुमान लगाया गया है कि 2030 तक कचरे की मात्रा 16 करोड़ टन तक पहुंच जाएगी। इस समस्या के समाधान के लिए नीति निर्माताओं ने वेस्ट टू एनर्जी (WTE) प्लांट बनाने का निर्णय लिया है, जिसका उद्घाटन गृह मंत्री अमित शाह ने 1 नवंबर को अहमदाबाद में किया।
प्रोजेक्ट की विशेषताएं
इस प्रोजेक्ट के लिए अहमदाबाद नगर निगम और एक प्राइवेट कंपनी के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) साइन किया गया है। इस समझौते के अनुसार, प्राइवेट कंपनी हर दिन 1000 मीट्रिक टन ठोस कचरा जलाकर बिजली बनाएगी। इस प्रक्रिया से न केवल कचरे का प्रबंधन होगा, बल्कि शहर में कचरे से होने वाली आय में भी वृद्धि होगी। अहमदाबाद की स्वच्छता रैंकिंग में सुधार के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
प्लांट का परिचय
यह प्लांट गुजरात का सबसे बड़ा वेस्ट टू एनर्जी प्लांट है। फिलहाल, यह प्रायोगिक संचालन के तहत हर दिन 1000 टन कचरे का निपटारा कर रहा है और हर घंटे 15 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रहा है। जब यह पूरी क्षमता से चलेगा, तो यह प्रतिदिन 4000 मीट्रिक टन कचरे का प्रबंधन करेगा और लगभग 350 मेगावाट बिजली उत्पन्न करेगा।
कचरे से बिजली बनाने की प्रक्रिया
वेस्ट टू एनर्जी प्लांट में कचरे को बिजली उत्पन्न करने के लिए ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है, जैसे कि अन्य संयंत्र कोयला या गैस का उपयोग करते हैं।
इस प्रक्रिया में कुल सात चरण होते हैं…
कचरा डंपिंग: कचरा पहले डंपिंग पिट में लाया जाता है, जहां इसे प्रोसेस किया जाता है।
कन्वेयर बेल्ट: कचरे को क्रेन द्वारा उठाकर कन्वेयर बेल्ट में डाला जाता है, जहां गीले कचरे को सुखाया जाता है और बेकार चीजें अलग की जाती हैं।
जलाना: कचरे को कंब्शन चैंबर में डालकर 800 से 1000 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर जलाया जाता है, जिससे गर्मी उत्पन्न होती है।
बिजली उत्पादन: उत्पन्न गर्मी से पानी भाप में बदलता है, जो हाई प्रेशर भाप टरबाइन जनरेटर को घुमाकर बिजली पैदा करता है।
गैसों का निपटारा: इस प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न हानिकारक गैसों का प्रभाव कम किया जाता है।
राख का प्रबंधन: अंत में, राख को बॉयलर और वायु-प्रदूषण नियंत्रण प्रणाली से इकठ्ठा किया जाता है।
अहमदाबाद में स्थापित किया गया वेस्ट टू एनर्जी प्लांट कचरे की समस्या का समाधान प्रस्तुत करता है और बिजली उत्पादन में मदद करता है। इससे न केवल पर्यावरण की सुरक्षा होगी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा। यह पहल कचरे के प्रबंधन को नई दिशा देने में सहायक साबित होगी।