इंदौर: नरवाई को जलाकर नष्ट करने पर ढाई हजार से 15 हजार रुपये तक का लगेगा जुर्माना हो सकता है। उल्लेखनीय है कि कृषक गेंहू की कटाई कंबाईंड हार्वेस्टर मशीन से करा रहे है जिससे फसल के अवशेष यानि नरवाई खेत में रह जाते है जिसे बाद में किसानों द्वारा जलाया जाता है। इससे पर्यावरण प्रदूषण के साथ-साथ मृदा स्वास्थ्य एवं जनजीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उप संचालक कृषि ने बताया कि मृदा की सतह का तापमान 60-65 डिग्री सेंटीग्रेड हो जाता है ऐसी दशा में मिट्टी में पाये जाने वाले लाभदायक जीवाणु एवं मित्र कीट आदि नष्ट हो जाते हैं। ये सूक्ष्म जीवाणु खेतों में डाले गए खाद एवं उर्वरक को तत्व के रूप में घुलनशील बनाकर पौधों को उपलब्ध कराते हैं। उल्लेखनीय है कि पर्यावरण विभाग मंत्रालय द्वारा पूर्व में जारी नोटिफिकेशन में नरवाई जलाने पर दो एकड़ से कम में 2 हजार 500 रूपए, दो एकड़ से पांच एकड़ तक 5 हजार रूपये एवं पांच एकड़ से अधिक पर नरवाई जलाने में 15 हजार रूपये का जुर्माना का प्रावधान किया गया है।
उप संचालक कृषि द्वारा किसानों से अपील की गई है कि फसल की कटाई के बाद फसल अवशेषों नरवाई को जलाएं नही बल्कि रोटावेटर व कृषि यंत्रों के माध्यम से जुताई कर खेत में मिला दें अथवा फसल अवशेष को स्ट्रॉ रीपर चलाकर भूसा तैयार कर पशुओं को भूसा खिलाने में उपयोग करे। वर्तमान में गेंहू भूसा लगभग 600 से 800 रूपए प्रति क्विंटल की दर से बिक रहा है। किसान भूसा बनाकर भी अतिरिक्त लाभ कमा सकते है।