महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणामों पर कांग्रेस ने गंभीर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने चुनाव प्रक्रिया में हेरफेर और मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोप लगाते हुए निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए। इन आरोपों के बाद, चुनाव आयोग ने कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल को चर्चा के लिए 3 दिसंबर को शाम 5 बजे बुलाया है।
चुनाव आयोग का रुख: पारदर्शिता पर जोर
निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए कहा है कि चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी थी। आयोग ने यह भी बताया कि चुनाव के हर चरण में उम्मीदवारों और उनके एजेंटों की भागीदारी सुनिश्चित की गई थी।
आयोग ने कांग्रेस के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए आश्वासन दिया कि पार्टी द्वारा उठाए गए हर वैध सवाल का उचित जवाब दिया जाएगा। इसके अलावा, आयोग ने यह भी कहा कि सभी वैधानिक चिंताओं की समीक्षा के बाद कांग्रेस को लिखित जवाब दिया जाएगा।
वोटिंग डेटा पर स्पष्टीकरण
कांग्रेस ने मतदान प्रतिशत में विसंगति का मुद्दा उठाया, जहां शाम 5 बजे तक दर्ज मतदान 58.22% था, जो रात 11:30 बजे तक 65.02% हो गया और अंततः 66.05% तक पहुंचा। इस पर निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदान के दौरान पीठासीन अधिकारियों को कई वैधानिक प्रक्रियाओं का पालन करना होता है, जिसके कारण आंकड़े अद्यतन करने में देरी हो सकती है।
आयोग ने यह भी कहा कि मतदाता सूची के अद्यतन की प्रक्रिया सभी राजनीतिक दलों की भागीदारी के साथ पूरी पारदर्शिता में की गई थी। मतदान से संबंधित सभी डेटा उम्मीदवारों के लिए उपलब्ध और सत्यापन योग्य हैं।
कांग्रेस के आरोप: वोटर लिस्ट में हेरफेर और पक्षपात
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि चुनाव से पहले मतदाता सूची में मनमाने ढंग से नाम जोड़े और हटाए गए। पार्टी का कहना है कि हर विधानसभा क्षेत्र में लगभग 10,000 से अधिक मतदाताओं को बिना उचित प्रक्रिया के जोड़ा गया, जिससे चुनाव परिणाम प्रभावित हुए।
कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक में इन आरोपों पर गहराई से चर्चा की गई। साढ़े चार घंटे तक चली इस बैठक में कहा गया कि निर्वाचन प्रक्रिया की निष्पक्षता और स्वतंत्रता पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए आंदोलन की चेतावनी दी।
कांग्रेस की आंदोलन की योजना
कांग्रेस ने निर्णय लिया है कि चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर जनता की चिंताओं को एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में उठाया जाएगा। पार्टी का मानना है कि चुनाव आयोग की कथित पक्षपातपूर्ण भूमिका के कारण चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठे हैं, जिससे समाज का बड़ा वर्ग असंतोष और आशंका में है।
बैठक में प्रस्ताव और आगे की रणनीति
CWC ने प्रस्ताव पारित कर यह कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव एक संवैधानिक आवश्यकता है, लेकिन वर्तमान चुनावी प्रक्रियाओं से इसकी साख को नुकसान पहुंच रहा है। कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर समाज के व्यापक वर्ग को जोड़ने की योजना बनाई है और इसे राष्ट्रीय स्तर पर उठाने का संकल्प लिया है।
चुनाव परिणामों को लेकर कांग्रेस और चुनाव आयोग के बीच यह विवाद एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है। जहां कांग्रेस ने निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं, वहीं चुनाव आयोग ने अपनी पारदर्शी प्रक्रिया और वैधानिक जवाबदेही का भरोसा दिलाया है। अब यह देखना होगा कि कांग्रेस के आरोपों और आंदोलन की योजना का क्या असर होता है और आयोग इस पर क्या कदम उठाता है।