इंदौर : मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने बताया कि इंदौर वन मंडल की बड़गोंदा बीट में अवैध उत्खनन कर रहे व बगैर अनुमति वन परिक्षेत्र में सड़क निर्माण कर रहे जेसीबी व ट्रैक्टर ट्राली को वन विभाग के अधिकारियों ने शिकायत मिलने पर ज़ब्त कर वन परिसर में खड़ा करवा कर निष्पक्ष व ईमानदार ढंग से कार्रवाई की थी।उक्त ज़ब्त वाहनों को लेकर वनपाल व डिप्टी रेंजर राम सुरेश दुबे द्वारा पुलिस में दिए गए आवेदन में प्रदेश की मंत्री उषा ठाकुर और उनके 15-20 समर्थकों द्वारा शासकीय कार्य में बाधा डालकर बलपूर्वक छुड़ा ले जाने पर उन पर डकैती का प्रकरण दर्ज करने को लेकर आवेदन दिया गया था।
सलूजा ने बताया कि एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री रोज चिल्ला चिल्ला कर प्रदेश भर में कहते हैं कि मैं माफियाओं को छोडूंगा नहीं ,गाड़ दूंगा ,टांग दूंगा ,लटका दूंगा ,अवैध उत्खनन करने वालों को पैसा कमाने नहीं दूंगा ,वही उन्हीं की सरकार में जब वन विभाग के अधिकारियों को वन परिक्षेत्र में अवैध उत्खनन की जानकारी मिलती है और वह दोषियों पर निष्पक्ष कार्रवाई करते हैं , तब उन्हीं की सरकार की मंत्री इन आरोपियों को भाजपा का व खुद का समर्थक बताकर छोड़ने के लिए दबाव बनाती है और उनके समर्थक उन्ही की मौजूदगी में बलपूर्वक शासकीय कार्य में बाधा डालकर ज़ब्त वाहनो को छुड़ाकर ले जाते है और जब वन विभाग के अधिकारी दोषियों पर कार्रवाई के लिए आवेदन देते हैं तो प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह मंत्री व आरोपियों के बचाव में खड़े हो जाते हैं।
इस पूरे मामले में एक जांच दल भेजने की घोषणा कर देते हैं।जब वन विभाग के अधिकारी ही अपने बयान व पुलिस को दिये आवेदन में सब कुछ स्पष्ट कर चुके हैं तो फिर किस बात की जांच और किस बात का जांच दल ? यह तो दोषियों को बचाने का खुला खेल चल रहा है। क्या अवैध उत्खनन के सभी मामलों में इस तरह जाँच दल गठित किये जाते है ? मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार में अवैध उत्खनन को लेकर दो तरह के कानून हैं एक भाजपा और उससे जुड़े लोगों के लिए और दूसरा अन्य के लिए , इस बात से स्पष्ट हो रहा है।
इस पूरे मामले में तो मंत्री की भूमिका स्पष्ट होने के बाद मुख्यमंत्री को तत्काल मंत्री उषा ठाकुर को उनके पद से हटाना चाहिए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश देना चाहिए लेकिन उल्टा मंत्री और उनके समर्थकों को बचाने का खेल चल रहा है और वन विभाग के अधिकारियों को जांच के नाम पर निपटाने का खेल खेलने की तैयारी की जा रही है।मंत्री के दबाव में वन विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई करने की तैयारी की जा रही है।यदि ऐसा किया गया तो कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी ,इसका विरोध करेगी सड़क से सदन तक इसकी लड़ाई लड़ेगी।
मंत्री कह रही है कि उनके समर्थक रास्ता ठीक कर रहे थे तो यदि यह बात सही है तो क्या कारण है कि वन परिक्षेत्र में नियमों के मुताबिक इसकी अनुमति नहीं ली गई और जो अवैध उत्खनन मौके पर पाया गया क्या वह नियमो के मुताबिक़ हो रहा था ? “उल्टा चोर कोतवाल को डांटे”की तर्ज पर जाँच के नाम पर दोषियों को बचाकर वन विभाग के अधिकारियों को निशाना बनाने का खेल खेलने की तैयारी की जा रही है।