नकवी के इस्तीफा देने के बाद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी को अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया है. उनके साथ नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को इस्पात मंत्रालय सौंपा गया है. बता दें कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी कांग्रेस नेता राहुल गांधी को अमेठी से लोकसभा चुनाव हराने के बाद संसद पहुंची थी. वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मध्य प्रदेश भाजपा के राज्यसभा सांसद है.
आज मुख्तार अब्बास नकवी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. वो संख्यक मामलों का विभाग संभालते थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया. वह आज अपनी आखिरी बैठक में शामिल हुए थे. इस बैठक में पीएम मोदी उनकी तारीफ करते भी दिखाई दिए थे. नकवी के साथ आज इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह कैबिनेट की अपनी आखिरी बैठक में शामिल हुए. बैठक में पीएम मोदी ने दोनों मंत्रियों को विदाई देते हुए देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए धन्यवाद कहा.
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इन दोनों ही मंत्रियों का राज्यसभा कार्यकाल 7 जुलाई को खत्म होने जा रहा है. नकवी राज्यसभा सदस्य थे, उनका कार्यकाल कल खत्म हो रहा है. नकवी को बीजेपी ने राज्यसभा नहीं भेजा है, जिसके बाद कहा जा रहा है कि उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है.
मोदी मंत्रिमंडल के जदयू कोटा मंत्री आरसीपी सिंह का राज्यसभा कार्यकाल भी गुरुवार को खत्म होने वाला है. दोनों नेता 6 जुलाई के बाद किसी भी सदन के सदस्य नहीं रहेंगे. हालांकि, बिना सांसद पद पर रहते हुए भी वह 6 महीने तक मंत्री रह सकते हैं, लेकिन पीएम मोदी की ओर से उन्हें कैबिनेट में विदाई दे दी गई है.
नकवी के राजनीतिक कार्यकाल की बात करें तो वह 2010 से 2016 तक यूपी से राज्यसभा सदस्य थे. 2016 में उन्हें झारखंड से राज्यसभा भेजा गया. 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्हें सूचना प्रसारण मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया था. इसके बाद 2014 में उन्हें अल्पसंख्यक और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री मोदी सरकार की ओर से बनाया गया. जुलाई 2016 में जब नजमा हेपतुल्ला ने इस्तीफा दे दिया तब नकवी को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का प्रभार पूरी तरीके से सौंप दिया गया. इसके बाद 2019 में वह मोदी कैबिनेट में शामिल हुए और अल्पसंख्यक मंत्रालय संभालते रहे.
वहीं बात अगर आरसीपी सिंह की करें तो उनके बीजेपी में आने की चर्चा जोर शोर से चल रही है. बीते दिन ही पार्टी की ओर से यह कहा गया है कि आरसीपी अभी पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं. अगर वह बीजेपी का हाथ थाम लेते हैं तो जदयू को शायद यह बात अच्छी ना लगे. हालांकि राज्यसभा में राष्ट्रपति की ओर से मनोनयन की 7 सीटें अभी खाली पड़ी हुई है.