MP News: मध्य प्रदेश में मूंग की खरीद प्रक्रिया में आ रही दिक्कतों को देखते हुए केंद्र सरकार ने किसानों को राहत देते हुए दैनिक खरीद मात्रा में बढ़ोतरी की है। अब किसान सरकारी खरीद केंद्रों पर एक दिन में 40 क्विंटल मूंग बेच सकेंगे। पहले यह सीमा 25 क्विंटल प्रतिदिन थी। इस संबंध में केंद्र सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से केंद्रीय खरीद एजेंसियों- भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) को पत्र भेजा गया है।
पत्र में मूंग और उड़द की दैनिक खरीद मात्रा 25 क्विंटल से बढ़ाकर 40 क्विंटल करने के निर्देश दिए गए हैं। कांग्रेस ने उठाए ये सवाल सरकार ने मूंग खरीद की सीमा 25 क्विंटल से बढ़ाकर 40 क्विंटल प्रतिदिन कर दी है, लेकिन कांग्रेस ने इस पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि यह बढ़ोतरी नाकाफी है और किसानों को और राहत देने के लिए इसे और बढ़ाया जाना चाहिए था।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष केदार शंकर सिरोही ने कहा कि ट्रॉली की क्षमता 80 से 100 क्विंटल की है, जिसके कारण किसान अपनी आधी फसल ही बेच पाते हैं। इसके बाद उन्हें मंडी के चक्कर लगाने पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि इस बदलाव से छोटे और मझोले किसानों को पर्याप्त राहत नहीं मिली है और वे अभी भी खरीद प्रक्रिया से संतुष्ट नहीं हैं। कांग्रेस मांग करती है कि दैनिक खरीद सीमा को और बढ़ाया जाए, ताकि किसान अपनी पूरी उपज एक बार में बेच सकें और उन्हें उचित मूल्य मिल सके।
क्या है पूरा मामला
मध्य प्रदेश में मूंग की खरीद प्रक्रिया के दौरान किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस बार राज्य सरकार ने मूंग की खरीद मात्रा 8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक सीमित कर दी है, जबकि राज्य में मूंग की औसत उत्पादकता 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इस सीमा के कारण किसान अपनी पूरी उपज सरकार को नहीं बेच पा रहे हैं और उन्हें अपनी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम कीमत पर खुले बाजार में बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है।
मूंग की एमएसपी 8558 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि खुले बाजार में किसानों को अपनी फसल 6500 से 8000 रुपए प्रति क्विंटल के बीच बेचनी पड़ रही है, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। इसके अलावा सरकार ने रोजाना खरीद को भी 25 क्विंटल तक सीमित कर दिया था, जिससे किसानों को बार-बार मंडियों के चक्कर लगाने पड़ रहे थे। हालांकि, किसानों की परेशानी को देखते हुए सरकार ने अब इस सीमा को बढ़ाकर 40 क्विंटल प्रतिदिन कर दिया है।