मंकीपॉक्स (Monkeypox), चेचक के समान नहीं पर उससे थोड़ा हल्का होता है। इसके लक्षण बुखार, सिरदर्द, शरीर पर दाने और फ्लू है। अगर किसकी को ये लक्षण होते है तो वह अपने आप ही 3 हफ्ते में चले जाते हैं। इसके साथ ही मंकीपॉक्स शरीर में लिम्फ नोड्स या ग्रंथियों (Lymph Nodes or Glands) को भी बढ़ा देता है।
कोरोना के बाद अब दुनिया में एक और नई बीमारी तेजी से फ़ैल रही है जिसका नाम है मंकीपॉक्स। अभी एक रिपोर्ट सामने आई है उसके मुताबिक अबतक पूरी दुनिया में मंकीपॉक्स के 90 से ज्यादा मरीज मिले है। एक अच्छी बात यह हुई कि हमारे देश भारत में अबतक इसका एक भी केस नहीं आया है। ये जो 90 केस मिले है वो यूके, यूरोपीय देश, उत्तरी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ ही 12 देशों में मिले हैं। इन्हीं सब खबरों के चलते मुंबई एयरपोर्ट और बीएमसी मंकीपॉक्स को लेकर सचेत है।
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बीएमसी ने आदेश दिया और कहा है कि जो लोग अफ्रीकी देशों और बाकी ऐसे देशों से यात्रा कर रहे है या कर चुके है जहां मंकीपॉक्स के लक्षण मिले है उन्हें अपनी जांच ज़रूर कराना चाहिए। मुंबई एयरपोर्ट ने भी यात्रियों को जांच कराने के लिए कहा है। इससे पहले ही केंद्र सरकार ने मंकीपॉक्स को लेकर ‘नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल’ और ‘इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च’ को सचेत रहने के लिए बोला है।
क्या है मंकीपॉक्स ?
मंकीपॉक्स एक ऑर्थोपॉक्सवायरस है जो चेचक की तरह होता है, लेकिन उससे थोड़ा कम संगीन होता है। मंकीपॉक्स वायरस पॉक्सविरिडे फैमिली के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीन से सम्बद्ध में है। 1958 में बंदरों में भी दो चेचक जैसी बीमारियों का पता चला था, उन दो में से ही एक मंकीपॉक्स है।
चेंबूर के जैन मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में कंसल्टिंग फिजिशियन और इंफेक्शन स्पेशलिस्ट डॉ. विक्रांत शाह ने बताया कि, मंकीपॉक्स एक जूनोसिस डिसीज है जो की अफ्रीका में ज्यादातर जानवरों को होता है और उनसे इंसानों में फैलता है। ये कोरोना जैसे इंसान से इंसान में कम फैलता है लेकिन जिस इंसान को यह होता है उसके पस या लार के स्पर्श में आने से यह फैलता है।
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