युही नही कोई माही बन जाता है

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By Ayushi JainPublished On: June 29, 2021

हंसा बेन राठौर(माही) कैडेट विश्व कुश्ती प्रतियोगिता(हंगरी)में भारत की ओर से चुनोती देने के लिये तैयार है। आज हम सभी यह जानते है ओर सम्पूर्ण राठौर समाज के लिये गौरव की भी बात है कि हमारी बेटी अपनी मेहनत के बल पर यह स्थान पा सकी है। हमारी बेटी की उपलब्धि पर हम सभी जिस गौरव का अनुभव कर रहे है उसके पीछे परिवार के कड़े त्याग ओर समर्पण की एक लंबी कहानी है।जिसे शब्दो मे व्यक्त करना अत्यंत कठिन है।


माही के दादाजी शंकरलाल जी राठौर(दादु)समाजसेवा के मजबूत स्तम्भ है। पिताजी अनिल जी राठौर की कुश्ती के प्रति दीवानगी का जिता जागता प्रमाण है कृपाशंकर पटेल कुश्ती प्रशिक्षण केंद्र (देपालपुर)जिसमे माही की तरह अन्य बच्चे भी प्रशिक्षण प्राप्त कर कुश्ती में देश व समाज का नाम ऊंचा करने के लिये निरन्तर मेहनत कर रहे है व सकारात्मक परिणाम भी दे रहे है।

कुश्ती को अपना जीवन समर्पित करने वाले अनिल भय्या द्वारा अपनी करोड़ो रु की कीमत रखने वाली जमीन पर कुश्ती को प्रोत्साहन देने के लिये अपने परिवार के सहयोग से देपालपुर में ही अखाड़े का निर्माण किया है व वहां पर बाहर से कुश्ती सीखने वाले खिलाड़ियों के रहने व खाने का सम्पूर्ण खर्च भी वहन करते है। कुश्ती जगत का बड़ा नाम भारत का गौरव अर्जुन अवार्ड से सम्मानित पहलवान श्री कृपाशंकर पटेल जी के सानिध्य में माही ने अपने खेल में लगातार सुधार कर अपने आप को इस स्थान पर पहुचाया है।

माही की माताजी कोरोना संक्रमण के कारण यह संसार छोड़ चली गई इसका गहरा प्रभाव माही पर पड़ा उसके बाद भी परिवार ने अपनी हिम्मत से आगे बढ़कर इस लक्ष्य को प्राप्त करने में माही का साथ दिया। परिवार के समपर्ण,त्याग को शत शत नमन है। हंसाबेन राठौर(माही)का कैडेट विश्व कुश्ती प्रतियोगिता में भारत की ओर से प्रतिनिधित्व करना उसके जीवन मे ना तो यह प्रारम्भ है नाही यह अंत है। यह तो उसके वैभवशाली जीवन का एक मुख्य पड़ाव है जिसे उसने पार कर लिया है। हम सभी को गौरवशाली पल जीने के बहुत से अवसर माही के माध्यम से प्राप्त होंगे। माही हमारी आने वाली पीढ़ी का प्रतिनिधित्व व मार्गदर्शन भी करेगी।