विजय अड़ीचवाल
आज सोमवार, भाद्रपद कृष्ण चतुर्दशी/अमावस्या तिथि है।
आज मघा नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है
( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
– आज देव और पितृ कार्ये अमावस्या है।
-इसे पिठोरी व कुश ग्रहणी अमावस्या भी कहते हैं।
-आज अपराह्न में तिल के खेत में पैदा हुए कुशों को ब्रह्माजी के मन्त्र से आमन्त्रित करके उखाड़ना चाहिए।
विरञ्चिना सहोत्पन्ना परमेष्ठि न्निसर्गज।
नुद सर्वाणि पापानि दर्भ स्वस्तिकरो भव।।
अर्थात् – दर्भ! तुम ब्रह्माजी के साथ उत्पन्न हुए हो, साक्षात् परमेष्ठी ब्रह्मा के स्वरूप हो और तुम स्वभावत: प्रकट हुए हो। हमारे सब पाप हर लो और हमारे लिए कल्याणकारी बनो।
-संसार की समस्त भाषाएं संस्कृत से उद्गमित या प्रभावित हैं।
– संस्कृत समस्त यूरोपीय भाषाओं की जननी है।
-संस्कृत का अर्थ है संस्कार की हुई भाषा। इसके दो रूप माने जाते हैं – वैदिक एवं लौकिक।
-चारों वेदों की भाषा वैदिक है और परवर्ती ग्रंथों की लौकिक।
– संस्कृत में शब्द को ब्रह्म, अनादि एवं अन्त हीन माना गया है।
-संस्कृत व्याकरण में लगभग दो हजार धातुएं हैं। एक धातु से 1 लाख 20 हजार 970 शब्द बनते हैं।
-इन धातुओं से शब्द निर्माण करें तो करीब 12 करोड़ शब्द बनते हैं।
-संस्कृत में सूर्य के 37, शरीर के 12, हवा के 20, जल के 27, अग्नि के 34 और पेड़ के 13 पर्यायवाची शब्द हैं।
परन्तु
-इन सभी का अलग-अलग अर्थ है। यही भाषा की समृद्धि की पहचान है।
-वैज्ञानिकों ने भी कम्प्यूटर के लिए संस्कृत को विश्व की श्रेष्ठ भाषा के रूप में स्वीकार किया है।