अर्जुन राठौर
क्या आप सोच सकते हैं कि ट्विटर पर किए गए एक ट्वीट से किसी रिश्वतखोर की रिश्वत लेने की पूरी कलई खुल जाए और उसके खिलाफ विभागीय जांच बिठा दी जाए ?
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ऐसा हुआ है और वह भी इंदौर में इसलिए अब नागरिकों को रिश्वतखोरों के खिलाफ ट्विटर पर भी अभियान चला देना चाहिए इससे रिश्वतखोरों की न केवल पोल खुलेगी बल्कि उनके खिलाफ जांच भी शुरू हो जाएगी।
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एक ऐसा ही चोंका देने वाला मामला हेरीटेज ट्रेन को लेकर सामने आया है, हुआ यह कि अमित दुबे नामक एक जागरूक नागरिक रविवार को हेरिटेज ट्रेन से महू से कालाकुंड तक गए वापसी में उनके टिकट पर वेटिंग था उन्होंने टीसी से बात की तब टीसी ने कहा कि बैठ जाओ देख लेंगे।
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इसके बाद उनके पास टिकट होते हुए भी टीसी द्वारा 270 रुपये प्रति व्यक्ति वसूल किये गए जबकि 5 लोगों का किराया मात्र 100 होता है लेकिन उन्हें 1350 रुपए देना पड़े।
इस पूरे मामले को लेकर उन्होंने ट्विटर पर प्रधानमंत्री कार्यालय तथा रेल मंत्री को टैग करते हुए अपनी बात ट्वीट कर दी जब यह पूरा मामला डीआरएम विनीत गुप्ता को पता चला तो उन्होंने टीसी के खिलाफ जांच बैठा दी ।
जागरूक नागरिक अमित दुबे की तरह ही अब इंदौर के नागरिकों को भी इसी तरह से रिश्वत लेने के मामले में ट्वीट करना चाहिए ताकि गलत ढंग से पैसे लेने वाले रिश्वतखोर अधिकारियों की पोल खुल सके अमित दुबे के मामले से यह भी स्पष्ट होता है कि अब ट्विटर रिश्वतखोरी की पोल खोलने का एक बड़ा माध्यम बन सकता है ।