2014 में अपनी शुरुआत के बाद से, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मासिक रेडियो संबोधन “मन की बात“ जनता से जुड़ने और उनकी चिंताओं को दूर करने का एक शक्तिशाली साधन बन गया है। कार्यक्रम का भारतीय समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा है। इसमें सामाजिक कल्याण से लेकर पर्यावरण संरक्षण तक कई मुद्दों पर चर्चा हुई है। “मन की बात“ के प्रमुख प्रभावों में से एक भारतीय लोगों में एकता और एकजुटता की भावना लाने की इसकी क्षमता रही है। यह कार्यक्रम सरकार की नीतियों और पहलों को बढ़ावा देने और नागरिकों को राष्ट्र निर्माण गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने का एक मंच बन गया है। “मन की बात“ के माध्यम से, प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत अभियान और बेटी बचाओ, बेटी पढाओ जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के लिए समर्थन जुटाने में सक्षम रहे हैं। इससे भारतीय लोगों में सामूहिक जिम्मेदारी और उद्देश्य की भावना पैदा करने में मदद मिली है।
“मन की बात“ का एक अन्य महत्वपूर्ण प्रभाव सामाजिक कल्याण और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका भी रही है। कार्यक्रम का उपयोग आम नागरिकों के संघर्षों और उपलब्धियों को उजागर करने और उन्हें समर्थन देने के लिए सरकार के प्रयासों को प्रदर्शित करने के लिए किया गया है। उदाहरण के लिए, एक एपिसोड में, प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश की एक महिला की कहानी पर चर्चा की, जिसने सफलतापूर्वक अपने गांव को स्वच्छता के मॉडल में बदल दिया। इस तरह की कहानियों को साझा करके, “मन की बात“ ने देश भर के लोगों को सामाजिक मुद्दों को उठाने और अपने समुदायों में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करने में मदद की है।
उल्लेखनीय यह भी है कि “मन की बात“ पर्यावरण के मुद्दों के बारे में जागरूकता पैदा करने और सतत विकास को बढ़ावा देने में सहायक रही है। कार्यक्रम में जलवायु परिवर्तन, जल संरक्षण व नवीकरणीय ऊर्जा जैसे विषयों पर चर्चा की गई है। नागरिकों को अपने दैनिक जीवन में पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया है। एक प्रकरण में, प्रधानमंत्री ने एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के लिए एक जन आंदोलन का आह्वान किया, जिसका सार्वजनिक चेतना पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा और पूरे देश में प्लास्टिक कचरे में कमी आई।
सच्चाई यह है कि मन की बात भारत के जन-जन के हृदय की भावनाओं को अभिव्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम बना है। मन की बात सुनते हुए ठेठ गांव की चौपाल पर बैठा एक किसान और सिलिकॉन वैली के अपने ऑफिस में बैठा एक आईटी प्रोफेशनल स्वयं को इन विषयों के साथ जोड़ लेते हैं। मुझे लगता है यही मन की बात की सबसे बड़ी ताकत है। जहां तक स्वावलंबन, सशक्तिकरण का प्रश्न है, इंदौर के एक रेलवे अधिकारी और गीतकार अशोक द्विवेदी जी अपने पुत्र के रोजगार को लेकर अत्यधिक परेशान थे। उनका पुत्र अनेक बैंकों में आवेदन दे चुका था कि वह भिन्न-भिन्न प्रकार के सुस्वादु भोजन घर तक पहुंचाने की एक सुचारू व्यवस्था बनाने का स्टार्टअप प्रारंभ करना चाहता है।
किंतु, दुर्भाग्य से किसी बैंक से इतने साधारण काम के लिए उसे लोन मिलने की व्यवस्था नहीं बन पाई। आधुनिक पीढ़ी इस युवा ने मन की बात के मेल पर अपना यह विचार साझा किया और आश्चर्यजनक रूप से अगले ही एपिसोड में प्रधानमंत्री जी ने इस युवा की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए यह कहा कि इस तरह के युवाओं की आज आवश्यकता है। आश्चर्यजनक रूप से जिस दिन मन की बात का यह धारावाहिक प्रसारित हुआ उसी दिन 10-12 बैंक के प्रतिनिधि इस युवा को तलाशते हुए उसके घर पहुंचे, उसे ऋण देने की स्वीकृति प्रदान करने लगे। यह मन की बात की शक्ति की ओर इंगित करता है।
मन की बात को भारत के 135 करोड़ जन जन तक पहुंचाने के माध्यम के लिए भी माननीय प्रधानमंत्री मोदी ने कितना विचार किया होगा यह सोचकर ही आश्चर्य लगता है। मुझे अच्छी तरह याद है कि मेरे दादाजी और पिताजी की पीढ़ी तक आकाशवाणी अर्थात रेडियो का माध्यम सर्वाधिक प्रचलित प्रसार माध्यम हुआ करता था। लेकिन बदलते समय के साथ यह यात्रा न केवल टेलीविजन तक आई, बल्कि इंटरनेट क्रांति के युग में जबकि इंस्टाग्राम, टि्वटर, फेसबुक और यूट्यूब ने पूरी दुनिया को लोगों की जेब में लाकर रख दिया है, तब मन की बात का रेडियो से लेकर यूट्यूब तक एक साथ प्रसारित होना सिद्ध करता है कि प्रधानमंत्री जी ने अपनी सोच की दृष्टि में भारत के प्रत्येक व्यक्ति को रखा है। हर स्तर पर उनका संदेश पहुंचना इस बात का द्योतक है की मन की बात ने प्रसार माध्यम का एक भी कोना अछूता नहीं रहने दिया।
मैं मातृ संगठन का कार्य करते हुए बाल्यकाल से एक गीत गाता रहा हूं – “दसों दिशाओं में जाएं, दल बादल से छा जाएं।” मन की बात पर जब मैं व्यापक की दृष्टि से विचार करता हूं तो मुझे यह गीत मूर्त रूप लेता प्रतीत होता है। निष्कर्षतः, “मन की बात“ भारत में सामाजिक कल्याण, पर्यावरण संरक्षण और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने का एक शक्तिशाली साधन रहा है। इस कार्यक्रम का भारतीय समाज पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। देशभर के लोगों को बेहतर भविष्य की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करने में मदद मिली है। भारतीय समाज पर इसके समग्र प्रभाव से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। जब तक कार्यक्रम सकारात्मक बदलाव को बढ़ावा देने के लिए एक मंच के रूप में काम करता रहेगा, यह भारत के राष्ट्रीय विमर्श का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना रहेगा।
मन की बात में प्रधानमंत्री पूज्य बापू का बार-बार उल्लेख करते नजर आते हैं। अनायास मुझे प्रख्यात पश्चिमी विचारक टॉलस्टॉय का एक कथन याद आया जो उन्होंने पूज्य बापू के बारे में कहा था – “हमारी आने वाली पीढ़ी यह सोच कर रोमांचित होगी कि मेरी पीढ़ी ने एक ऐसे महामानव को पृथ्वी पर विचरते देखा है जिसे दुनिया मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से जानती है।” मैं यदि अपने आलेख का अंत करना चाहूं तो संभवतः इसी प्रकार के एक वाक्य से करना चाहूंगा कि आने वाली पीढ़ी मेरे जैसे युवाओं की इस बात पर आश्चर्य करेगी कि-” मैंने श्रद्धेय नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी जैसे व्यक्ति को अपनी आंखों से इस पृथ्वी पर विचरण करते देखा है।”
सचमुच लोगों के मन तक पहुंचकर अपने मन की बात को लोगों के मन की बात से ऐसा एकरूप कर देना कि लोगों को यह लगे ही नहीं कि दोनों बातें भिन्न-भिन्न मनों से उपजी हैं। एक अनूठी मनोवैज्ञानिक क्रांति है मन की बात, जिसे आने वाली पीढ़ी के दर्शन शास्त्री ठीक भारत की श्वेत क्रांति, हरित क्रांति और औद्योगिक क्रांति के समान ही अध्ययन का विषय बनाएंगे। मैं मन की बात को इसी रूप में देखता हूं। उल्लेखनीय है कि 30 अप्रैल, 2023 को ‘मन की बात’ का 100वाँ एपिसोड प्रसारित होने जा रहा है।
सादर प्रकाशनार्थ हेतु…….
दीपक जैन (टीनू)
पूर्व पार्षद
सह- मीडिया प्रभारी भाजपा मध्यप्रदेश