महाराष्ट्र (Maharashtra) का राजनैतिक तूफान थम चुका है ,लेकिन बुझे चिरागों का आक्रोश जारी है। शिवसेना (Shiv Sena) से बगावत करके उद्धव ठाकरे सरकार को गिरा कर एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद तक पहुँच गए। महाराष्ट्र के सियासी गलिहारों में किसी ने भी इतने बड़े उलटफेर के कयास नहीं लगाए थे। केंद्रीय सत्ताधारी बीजेपी को कांग्रेस के सहारे चुनौती देने वाले उध्दव ठाकरे के सामने आज महाराष्ट्र व देश की राजनीति में स्वयं के अस्तित्व को कायम रखना ही चुनौती बन गया है। शिवसेना का वर्तमान अस्तित्व व नेतृत्व अस्थिरता के सबसे बड़े समयकाल से गुजर रहा है। बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना भविष्य में किस स्वरूप में नज़र आएगी यह देखना सभी के लिए अत्यंत जिज्ञासा का विषय है।
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पूर्व मुख्यमंत्री ने वर्तमान मुख्यमंत्री को निकाला शिवसेना से
शिवसेना से बगावत करके एकनाथ शिंदे भले ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए हों मगर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पार्टी से उन्हें बर्खास्त करते हुए अपने बाकी बचे अधिकार का अहसास कराया है। उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखते हुए उन पर पार्टी विरोधी गतिविधियां संचालित करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा की इन बगावती गतिविधियों के कारण ही आप पर पार्टी से निलंबन की कार्यवाही की जा रही है इसके साथ ही आपको पार्टी के सभी पदों से मुक्त किया जाता है ।
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शिंदे ने कहा बीजेपी से हमारा संबंध बालासाहेब की विचारधारा की वजह से
उद्धव ठाकरे सरकार से बग़ावत के आरम्भ से ही एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला बागी गुट बालासाहेब ठाकरे के आदर्शों पर चलने का दावा करता रहा है। एकनाथ शिंदे ने अपने मीडिया को दिए लगभग सभी इंटरव्यू में खुद को व सभी बागी विधायकों को शिवसेना का सच्चा सैनिक बताया है। सीएम बनने के बाद बालासाहेब के चरणों में बैठे हुए एकनाथ शिंदे की तस्वीर उनके सोशल मीडिया हेंडल्स पर लगाई गई। बालासाहेब के आदर्शों पर भविष्य में किसका दावा तेज रहेगा ये देखने वाली बात है।