जानें कब है राम नवमी, ये है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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नवरात्रि का त्यौहार पूरे नौ दिनों तक मनाया जाता हैं। इस पर्व को सबसे ज्यादा पावन पर्व माना जाता है। हिन्दू धर्म में इस नवरात्रि का काफी महत्व है। नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना से की जाती है। इस साल चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल मंगलवार से प्रारंभ हो रहे हैं। वहीं इस साल राम नवमी 21 अप्रैल, 2021 को मनाई जाएगी।

बता दे, इस दिन मर्यादा-पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने राजा दशरथ के घर पर जन्म लिया था। इसलिए इस दिन भगवान राम की उपासना के लिए विशेष तैयारियां की जाती हैं। इस दिन सभी घरों में हवन और व्रत रखे जाते है। साथ ही कन्या भोज भी करवाया जाता है। चलिए जानते है राम नवमी व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा नियम और धार्मिक महत्व।

शुभ मुहूर्त 2021 –

नवमी तिथि प्रारम्भ- 21 अप्रैल 2021 को रात 00:43 बजे से
नवमी तिथि समाप्त- 22 अप्रैल 2021 को राज 00:35 बजे तक
पूजा मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 02 मिनट से दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक
पूजा की कुल अवधि- 02 घंटे 36 मिनट
रामनवमी मध्याह्न समय- दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर

राम नवमी का महत्व –

हर साल चैत्र शुक्ल नवमी तिथि को राम नवमी के रूप में मनाई जाती है। बता दे, त्रेतायुग में चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान श्रीराम का जन्म अयोध्या नरेश राजा दशरथ और माता कौशल्या के पुत्र के रूप में हुआ था। जैसा की आप सभी जनते है भगवान विष्णु के अवतार हैं। अपने जीवन के माध्यम से भगवान श्रीराम ने उच्च आदर्शों को स्थापित किया है जो आज भी सबके लिए प्रेरणास्रोत हैं।

व्रत और पूजा विधि –

नवमी तिथि के दिन सुबह स्नान से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र पहनें। उसके बाद फिर पूजा स्थल पर प्रभु श्रीराम की प्रतिमा, मूर्ति या फिर तस्वीर को स्थापित करें। फिर राम नवमी व्रत का संकल्प लें। बाद में उनका गंगा जल से ​अभिषेक कराएं। फिर श्रीराम का अक्षत्, रोली, चंदन, धूप, गंध आदि से षोडशोपचार पूजन करें। तुलसी का पत्ता और कमल का फूल अर्पित करें। फिर मौसमी फल भी चढ़ाएं। घर में बने मीठे पकवान का भोग लगाएं।

अब रामचरितमानस, रामायण और रामरक्षास्तोत्र का पाठ पढ़े। फिर भगवान राम की आरती करें। आरती के दौरान उनकी प्रतिमा को पालने में कुछ देर के लिए झुलाएं। पूजा समापन के बाद प्रसाद लोगों में वितरित कर दें। ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें। व्रत रखने वाले लोग दिनभर फलाहार करें। शुभ मुहूर्त में भगवान राम की रथ यात्रा, झांकियां निकालें। फिर शाम को भगवान राम का भजन-कीर्तन करें। फिर दशमी के दिन सुबह स्नान से निवृत्त होकर भगवान राम की पूजा करें और पारण कर व्रत पूरा करें।