उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव एक बार फिर अपने विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में हैं. इस बार मामला जुड़ा है कांवड़ यात्रा और सनातन संस्कृति से, जिस पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने ऐसा कुछ कह दिया जिससे धार्मिक भावनाएं आहत हो गई हैं. अब इस बयान को लेकर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और इसे सनातन धर्म पर सीधा हमला करार दिया है.
क्या कहा अखिलेश यादव ने?
हाल ही में अखिलेश यादव ने एक जनसभा में कांवड़ यात्रा को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा कि “सड़कें तो आम लोगों के लिए होती हैं, ना कि धार्मिक जलूसों और भगवा झंडों के प्रदर्शन के लिए.” हालांकि उन्होंने इस बात को “कानून और व्यवस्था” के नजरिए से कहा बताया, लेकिन सोशल मीडिया पर उनके बयान को कांवड़ियों के अपमान के रूप में देखा जा रहा है.

आचार्य प्रमोद कृष्णम का तीखा वार
प्रखर सनातन धर्म प्रवक्ता और आध्यात्मिक गुरु आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अखिलेश के इस बयान पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा “ये सिर्फ कांवड़ यात्रा का अपमान नहीं है, बल्कि यह सनातन संस्कृति की आत्मा पर हमला है. अब सनातनी चुप नहीं बैठेंगे.”
उन्होंने कहा कि “जब एक पूर्व मुख्यमंत्री और प्रमुख विपक्षी नेता धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले बयान देता है, तो ये सिर्फ जुबान की चूक नहीं, बल्कि सोच की दिशा को दर्शाता है.”
राजनीतिक गलियारों में हलचल
अखिलेश के बयान के बाद न सिर्फ धार्मिक संगठनों में नाराज़गी है, बल्कि राजनीतिक विपक्ष ने भी इसे भुनाना शुरू कर दिया है. बीजेपी नेताओं ने इसे अखिलेश की “हिंदू विरोधी मानसिकता” से जोड़ा है, वहीं कई संत समाज के लोग खुलकर विरोध में उतर आए हैं.
सोशल मीडिया पर फूटा गुस्सा
X (Twitter), Instagram और Facebook जैसे प्लेटफॉर्म पर #सनातन_का_अपमान ट्रेंड कर रहा है. लोग कह रहे हैं,”कांवड़ यात्रा कोई तमाशा नहीं, ये हमारी आस्था का प्रदर्शन है.”
चुनावी नुकसान का खतरा?
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो 2027 की तैयारी कर रही समाजवादी पार्टी के लिए यह बयान ओबीसी और धार्मिक वोटर्स में नाराजगी का कारण बन सकता है. आचार्य प्रमोद का खुला विरोध और साधु-संतों की नाराजगी इस मुद्दे को और तूल दे सकती है.