इंदौर : मिनी मुंबई के नाम से मशहूर शहर इंदौर स्वच्छता में तो लगातार जीत दर्ज कर अपना नाम रोशन कर ही रहा है। लेकिन इसके अलावा खाने-पीने में भी अपनी अलग पहचान बना चूका इंदौर शहर आपके लिए कई तरह के अलग अलग नायब तरीके अपनाता रहता है, जिससे यहाँ की जनता को काफी ख़ुशी होती है।
इसी कड़ी में आपको बता दे कि अब तक आपने अपने इंदौर शहर में कई तरह के कैफे के बारे में सूना होगा और शायद आप गए भी होंगे। परन्तु आज हम आपको एक ऐसे कैफे के बारें में बताने जा रहे है जहाँ लोग खाने-पीने नहीं बल्कि अपने मन की भड़ास और गुस्सा शांत करने के लिए आते है।जी हाँ, अब आप सोच रहे होंगे आखिकार यह कैफे है कहाँ? तो आपको बता दे कि इंदौर में खुले इस कैफे का नाम है ‘भड़ास’ कैफे। जिसका एक मात्र उद्देश्य यह है कि जो लोग ग़ुस्से में आकर अजीब-अजीब हरकतें करते हैं, तोड़-फोड़, गाली गलौच आदि करते है तो इससे उनको बड़ा नुकसान उठाना पढता है क्योंकि वह ग़ुस्से में आकर किसी भी घर या ऑफिस या बाजार की अच्छी वास्तु पर भी वार कर देते है जिससे उनका ग़ुस्सा शांत हो जाए जिसे ही हम आम भाषा में भड़ास कहते हैं. तो ऐसे ही लोगों के लिए खुला है भड़ास कैफे जहाँ जाएँ और तोड़फोड़ कर अपनी भड़ास भगाएं, तो आइयें जानते है इस बारें में कुछ जानकारी।।
डिस्ट्रक्शन थेरेपी
बताया जाता है इंदौर के इस कैफे में आप जहां चाहे वहां जाकर सुकून से अपनी भड़ास निकाल सकते हैं। इतना ही नहीं जो लोग तोड़फोड़ कर ग़ुस्सा शांत करते है उनके लिए भी टेबल-कुर्सी, कंप्यूटर के साथ ही कई सारी चीजे रखी गयी है। इसके साथ ही इस कैफे में लोगों को एक तरह से थेरेपी दी जाती है जिसे डिस्ट्रक्शन थेरेपी (Destruction therapy) कहते हैं। भारत में पहली बार इंदौर में डिस्ट्रक्शन थेरेपी देने के लिए भड़ास कैफे खोली गई है.आखिर क्यों किया शुरू
इस कैफे के मालिक अतुल मलिकराम ने अपने बारे में बताते हुए कहा कि मुझसे बचपन में खाना नहीं खाने पर मम्मी की मार पड़ती थी। जिसको लेकर वह कई बार ग़ुस्सा हो जाते थे और अपना गुस्सा निकालने के लिए घर का सामान फोड़ा करता थे। उस वक्त ऐसा लगता था कि भारत में मेरी तरह कई लोग होंगे जिन्हें गुस्सा आता होगा। इसके बाद उन्होंने थोड़ी मेहनत की, कुछ एनालिसिस किया और दुनिया की स्टडी पढ़ी तो उनके दिमाग में ‘एंगर रूम’ की कल्पना आई। उसके पश्चात उन्होंने इंदौर में भारत का पहला भड़ास कैफे खोला।
साउंड प्रूफ रूम
आपको बता दे कि इंदौर में बने इस भड़ास कैफे को 4 हजार वर्गफुट के क्षेत्र में बनाया गया है। इसी में एक साउंड प्रूफ रूम बनाया गया है जहां आपको जितना चिल्लाना है चिल्लाएं. आपको कोई नहीं रोकेगा। आप चिल्ला कर अपनी भड़ास निकाल सकते हैं। इतना ही नहीं आप पंचिंग बैग पर उस शख्स की फोटो चिपकाएं जिस पर आपको खूब गुस्सा आता है। पंचिंग बैग पर जितना चाहें आप उस शख्स को मुक्के मारें, आपको कोई रोकने नहीं आएगा। घूंसे पर घूंसा मारकर आप अपने कलेजे को ठंडा कर सकते हैं और अपना ग़ुस्सा भगा सकते है।किताबें- म्यूजिक
इस कैफे में आप अपना ग़ुस्सा म्यूजिक और किताबों से भी उतार सकते हैं। म्यूजिक एरिया बना है जहां आप इंस्ट्रूमेंट बजाकर, गाना गाकर या फिरलाइब्रेरी में किताबें पढ़कर भी दिमाग को शांत कर सकते हैं।
एंगर रूम
ग़ुस्सा शांत करने के लिए इस कैफे में ऑर्डर के हिसाब से एंगर रूम को डिजाइन किया जाता है. बॉस का मामला है तो एंगर रूम में टेबल-कुर्सी, कंप्यूटर आदि रखकर ऑफिस का माहौल बनाया जाता है। फैमिली का मैटर हो तो फ्रीज, वॉशिंग मशीन आदि रखे जाते हैं। गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड का मामला हो तो गिफ्ट आइटम रखे जाते हैं। फिर जिस व्यक्ति को अपनी भड़ास उतारनी है, उसे पूरा सेफ्टी गार्ड और सेफ्टी ड्रेस के साथ एंगर रूम में भेजा जाता है। लोग अंदर जाकर तोड़-फोड़ कर अपना गुस्सा उतारते हैं।साइकोलॉजिस्ट की मदद
सबसे अच्छी बात यह भी है कि भड़ास कैफे में लोगों की मदद के लिए साइकोलॉजिस्ट भी हैं। डिस्ट्रक्शन थेरेपी से लोग फिजिकल एनर्जी बाहर निकाल कर कुछ देर के लिए शांत हो जाते हैं। लेकिन उनकी दिमागी हालत नहीं सुधरती। इसके लिए साइकोलॉजिस्ट की मदद ली जाती है।