Kartik Purnima 2024: कब हैं कार्तिक पूर्णिमा? इस दिन क्या नहीं करना चाहिए

srashti
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Kartik Purnima 2024: कार्तिक का महीना हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और इसे शुभ माना जाता है। इस माह में कई प्रमुख व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। विशेष रूप से, इस महीने भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा के बाद जागते हैं, जिससे शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है।

Kartik Purnima 2024: कार्तिक पूर्णिमा का पवित्र दिन

कार्तिक माह का अंतिम दिन, जिसे कार्तिक पूर्णिमा कहा जाता है, अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है। इस दिन देव दीपावली और गुरु नानक जयंती जैसे महत्वपूर्ण उत्सव मनाए जाते हैं। इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी। धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से, यह दिन विशेष महत्व रखता है।

Kartik Purnima 2024: पवित्रता और दान

कार्तिक पूर्णिमा के दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, सामर्थ्यानुसार दान करते हैं, पूजा-अनुष्ठान करते हैं और दीपदान का कार्य करते हैं। यह दिन विशेष रूप से दान देने के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। लेकिन शास्त्रों में इस दिन कुछ कार्यों को करने से मना किया गया है, जिन्हें जानना आवश्यक है।

Kartik Purnima 2024: कार्तिक पूर्णिमा के दिन नहीं करने योग्य कार्य
  1. खाली हाथ लौटाना: कार्तिक पूर्णिमा के दिन यदि कोई व्यक्ति आपके द्वार आए, तो उसे खाली हाथ नहीं लौटाना चाहिए। यह अपमान माना जाता है और इससे बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
  2. कटु वचन: इस दिन गरीबों, जरूरतमंदों, असहायों और बुजुर्गों से कटु वचन बोलने से बचना चाहिए। ऐसा करने पर देवी-देवता नाराज हो सकते हैं।
  3. अपमान से बचें: किसी का अपमान करना इस दिन वर्जित है। इससे धार्मिक मान्यता के अनुसार दोष लगता है।
  4. सात्विक भोजन: इस दिन केवल सात्विक भोजन करना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन भी करना आवश्यक है।
  5. दान की सावधानी: कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान करना बहुत शुभ होता है, लेकिन चांदी के बर्तन या दूध जैसे चीजों का दान नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से चंद्र दोष लगता है, जो आर्थिक समस्याओं का कारण बन सकता है।
  6. अंधेरे का ध्यान रखें: यह सुनिश्चित करें कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन घर का कोई भी कमरा अंधेरा न रहे। अंधेरे में रहने से मां लक्ष्मी द्वार से लौट सकती हैं।

इस प्रकार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन कुछ विशेष कार्यों से बचना और शुभ कार्यों को अपनाना आवश्यक है। यह दिन न केवल धार्मिक अनुष्ठानों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और नैतिक दृष्टिकोण से भी हमें सतर्क रहना चाहिए।