विश्व जल दिवस के उपलक्ष्य में अभ्यास मंडल द्वारा अपनी तरह की एक अभिनव पहल करते हुए कान्ह-सरस्वती नदी के कृष्णपुरा छत्री घाट पर “जल जाजम” का आयोजन किया जहां किताबों पर उकेरी जाने वाली साहित्यिक रचनाए संघर्ष के लिए लड़ती नदी के घाट पर अपने प्रत्यक्ष भावों के रूप में व्यक्त की गई आरंभ कुमारी संबोधिनी बर्वे हां मैं नर्मदा हूं कविता से किया प्रभु त्रिवेदी ने दोहों के माध्यम से जल और पर्यावरण पर बात की।
सदाशिव कौतुक ने नदियां जीवनदायनी धरती पर वरदान। उनको दूषित कर रहा कैसा तू इंसान। दादा का बरगद मरा पापा जी का नीम सड़क निकल कर,कर गई पीढ़ी तीन यतीम। ने सुनाई वही हास्य व्यंग के कवि प्रदीप नवीन सोच लो अगर ना हो पानी सभी को कितनी होगी हानी। एवं हरे राम बाजपेई ने कब तक अश्रु बहाएगी यह कान्ह हमारी ,खुद की दशा सुनाएगी यह कान्ह,हमारी। रचना पाठ किया जल संकट के वर्तमान परिपेक्ष्य पर डॉ. ओ.पी जोशी ने प्रकाश डाला।
कार्यक्रम की भूमिका स्वप्निल व्यास द्वारा एवं स्वागत उद्बोधन सचिव डॉ.मालासिंह ठाकुर द्वारा दिया गया एवं शपथ डॉ.चेतना जोसेफ ने दिलवाई और अभ्यास मंडल द्वारा जल जागृति के स्टीकर का वितरण किया आभार अध्यक्ष रामेश्वर गुप्ता ने माना कार्यक्रम में , गौतम कोठारी ,अशोक कोठारी, धर्मेंद्र चौधरी,पल्लवी अढ़ाव , वैशाली खरे, मेघा बर्वे,ज्योति शारदा,गौतम कोठारी,नेताजी मोहिते,दिलीप वाघेला,पी.सी.शर्मा, मुरली खण्डेलवाल, सतीश सासवडकर,किशन सोमानी, जयंत जटाले,शाम पांडे ,गिरीश सेठ,शफी शेख, देवीलाल गुर्जर के साथ शहर के गणमान्य जन मौजूद रहे।