दिनेश निगम ‘त्यागी’
आदिवासी युवाओं के बीच काम कर रहे संगठन जयस ने भाजपा और कांग्रेस की नींद हराम कर रखी है। उसने मालवा-निमाड़ से आदिवासियों को संगठित करने की शुरुआत की थी, लेकिन अब वह पूरे प्रदेश में संगठन का विस्तार कर रहा है। भाजपा और कांग्रेस की चिंता का कारण यह है कि आदिवासी युवाओं को जोड़ने के मामले में जयस ने भाजपा और कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया है। विधानसभा के पिछले चुनाव में ही जयस बड़ी ताकत बन चुका था।
तब कांग्रेस ने चतुराई से जयस के अध्यक्ष हीरालाल अलावा को कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतार कर बाजी मार ली थी। कांग्रेस को इसका फायदा पूरे प्रदेश में आदिवासी बाहुल्य सीटों में मिला था। आदिवासियों को लेकर भाजपा-काग्रेस में फिर जंग के हालात हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा का कहना है कि कांग्रेस खत्म हो रही है।
इसीलिए जयस के कंधों के जरिए आदिवासियों को साध रही है। इसी वजह से हीरालाल अलावा को कांग्रेस से विधायक बनवा रखा है। दूसरी तरफ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का कहना है कि आदिवासियों का भाजपा से मोहभंग हो गया है। वह फिर कांग्रेस की ओर देख रहा है। फिलहाल जयस के साथ दोनों दलों ने आदिवासियों को जोड़ने का अभियान चला रखा है।
पांच लाख पहुंची जयस से जुड़े युवाओं की संख्या
– जयस के अध्यक्ष डॉ हीरालाल अलावा का कहना है संगठन का लगातार विस्तार हो रहा है। पूरे प्रदेश में आदिवासी युवा हमारे संगठन से जुड़ रहा है। सिर्फ आदिवासी ही नहीं बल्कि दूसरी जाति के लोगों को भी इससे जोड़ा जा रहा है। जयस के साथ जुड़े युवाओं की संख्या 5 लाख से ज्यादा हो गई है। प्रदेश में पांच लाख तो देश में करीब 20 लाख युवा जयस के सदस्य बन चुके हैं। जयस ने नीमच में आदिवासी युवक के साथ घटना के विरोध में अपना शक्ति प्रदर्शन किया तो इतनी भीड़ जुटी की भाजपा-कांग्रेस की नींद उड़ गई।
कांग्रेस देख रही है अपना कम नुकसान
– जयस के मजबूत होने से भाजपा और कांग्रेस दोनों का नुकसान है। लेकिन कांग्रेस अपना नुकसान इसलिए कम देख रही है क्योंकि जयस प्रमुख हीरालाल अलावा कांग्रेस के टिकट पर विधायक हैं। पार्टी को उम्मीद है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में भी जयस का समर्थन कांग्रेस को मिलेगा। इस बीच हुए उप चुनावों में भी जयस की ताकत का लाभ कांग्रेस को मिल चुका है। इसके अलावा कांग्रेस लगातार आदिवासियों को खुद से जोड़ने का अभियान भी चलाए हुए है।
आदिवासियों को जोड़ने भाजपा चला रही अभियान
– जयस की बढ़ती ताकत और कांग्रेस को मिल रहे समर्थन का अहसास भाजपा को है। इसीलिए पार्टी नेताओं में हड़कंप की स्थिति है। आदिवासी वर्ग को फिर पार्टी के साथ जोड़ने के लिए भाजपा ने 18 सितंबर से 15 नवंबर तक जनजाति कार्यक्रम शुरू करने की तैयारी कर रखी है। खासकर 15 नवंबर को जनजाति गौरव दिवस मनाने का ऐलान कर रखा गया है। इस तरह दोनों दलों की कोशिश है कि आदिवासियों को अपने साथ जोड़कर 2023 के चुनाव से पहले आदिवासी बहुल सीटों पर खुद को मजबूत किया जाए। दोनों के लिए सबसे बड़ा खतरा जयस बना हुआ है।
47 आरक्षित, 90 पर आदिवासियों का असर
– प्रदेश में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित सीटों की संख्या 47 है लेकिन यह वर्ग प्रदेश की लगभग 90 सीटों पर असर डालता है। लंबे समय बाद कांग्रेस ने आदिवासी वर्ग के लिए आरिक्षत 32 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी कर ली थी। जबकि कई चुनाव से भाजपा ये सीटें जीतती रही है। प्रदेश में आदिवासियों की आबादी दो करोड़ के लगभग है। यही कारण है कि भजपा और कांग्रेस आदिवासी वोट हाथ से नहीं जाने देना चाहते। उन्हें साधने के लिए दोनों दल पूरा दम लगाते हैं। कांग्रेस ने हाल ही में बड़वानी में आदिवासी अधिकार यात्रा निकालकर आदिवासियों को साधने की कोशिश की है।