मजा आ जाएगा पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय बेइज्जती देखकर, पढ़े पूरी खबर

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पाकिस्तान की बेइज्जती(Pakistan’s humiliation) होना तो अब आम बात हो चुकी हैं, लेकिन यहां मामला थोड़ा अलग हैं। अब तक पाकिस्तान की बेइज्जती अंतर्राष्ट्रीय मंचों या दूसरे देश के लोगों द्वारा की जाती थीं। लेकिन अब तो पकिस्तान की ये हालत हो गई कि उसके सरकारी कर्मचारी भी उसे बख़्श देने के मूड में नहीं दिख रहे।

दरअसल, पाकिस्तान में महंगाई ने अपने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं,और आर्थिक संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान के बुरे हाल हैं। ऐसे में बिचारे पाकिस्तान के सरकारी कर्मचारी पिछले तीन महीने से बिना वेतन भुगतान के काम कर रहे हैं। पर अब उनके भी सब्र का बांध टूट चुका हैं। सरकारी कर्मचारियों का कहना हैं कि हम सरकारी कर्मचारी कब तक चुप रहेंगे और पिछले तीन महीने से बिना वेतन भुगतान के भी काम करते रहेंगे। हमसे बच्चों की स्कूल फीस नहीं जमा हो पा रही है। फीस का भुगतान न होने के कारण उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया है।’

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पाकिस्तान की इमरान सरकार अपने सरकारी कर्मचारियों तक को भी वेतन नहीं दे पा रही है। अभी तक तो सरकारी कर्मचारी अपना मुहँ बंद किये हुए थे, लेकिन अब उनका दर्द दुनिया के सामने आ ही गया। दरअसल, पाकिस्तान के सर्बिया दूतावास के आधिकारिक ट्विटर पेज से ट्वीट कर अधिकारियों व कर्मचारियों ने अपना दर्द साझा किया है।

उन्होंने ट्वीट किया-” इमरान खान कब तक उम्मीद कर सकते हैं कि हम सरकारी कर्मचारी चुप रहेंगे और पिछले तीन महीने से बिना वेतन भुगतान के भी काम करते रहेंगे। हमसे बच्चों की स्कूल फीस तक नहीं भरी जा रही है। फीस का भुगतान न होने के कारण उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया है।”

उन्होंने इस ट्वीट के साथ एक और ट्वीट किया है जिसमें इमरान खान को टैग करते हुए लिखा है कि हमें माफ करना, हमारे पास और कोई विकल्प नहीं बचा था। साथ ही इस ट्वीट में एक फोटो भी लगाया गया है, जिस पर लिखा है- ‘आपने घबराना नहीं है।’

जब इस मामले में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय से सवाल पूछा गया तो उन्होंने यह कहके पल्ला झाड़ लिया कि सर्बिया दूतावास के सोशल मीडिया अकाउंट हैक हो गए हैं।

आपको बता दे, पहले ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान स्वीकार चुके हैं कि देश में घोर आर्थिक संकट चल रहा है। सरकार के पास पैसा नहीं बचा है न ही कर्मचारियों को देने के लिए वेतन बचा है। उन्होंने कार्यक्रम के दौरान स्वीकार किया था कि राजस्व वसूली में कमी आ गई है और विदेशी कर्ज बढ़ता ही जा रहा है।