सुप्रीम कोर्ट से राज्य शासन के विरुद्ध आईपीएस पुरुषोत्तम शर्मा को बड़ी जीत हासिल की है। उच्चतम न्यायालय ने शर्मा के विरुद्ध कार्यवाही को ग़लत मानकर जानबूझकर कर परेशान करना माना हैं। इसके साथ ही न्यायालय ने मात्र वीडियो के आधार पर कार्यवाही को भी ग़लत माना। शासन द्वारा पारित सस्पेंशन आदेश को निरस्त किया जाकर पूर्व दिसंबर 2020 से बहाली के आदेश दिये है
IPS शर्मा की ओर से सीनियर एडवोकेट निदेश गुप्त और ए ओ आर विनोद शुक्ला ने पक्ष रख रहे थे। इस दौरान कोर्ट में डी जी पुरुषोत्तम शर्मा की बेटी और दामाद भी उपस्थित रहे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने एक बार फिर सिद्ध किया है मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पदोन्नति के मामले में किसी का भी नुक़सान कर नियमों को दरकिनार कर मनचाही पोस्टिंग दे सकते है। सूत्रों का कहना है कि सुधीरंजन मोहंती का भी हक़ मारकर नियमों को दरकिनार कर मोहंती को मुख्य सचिव बनने से रोका था तथा पुरुषोत्तम शर्मा भी पुलिस महानिदेशक बनने की कगार पर थे जिन्हें महज़ डी जी पी न बनने देने के लिये सरकार ने निशाना बनाया।
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पढ़ें क्या है पूरा मामला
दरअसल, IPS शर्मा को पत्नी के साथ मारपीट का वीडियोे इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित होने के बाद 27 सितंबर 2020 को निलंबित कर दिया था। जिसके विरुद्ध जाकर उन्होंने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में अपील की थी, जिसमें निर्णय उनके पक्ष में आया और शासन को बहाली के आदेश दिए गए थे। बता दें आइपीएस अधिकारी पुरुषोत्तम शर्मा 1986 बैच केअधिकारी है।