इंदौर: कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला (Sanjay Shukla) ने कहा है कि इंदौर (Indore) नगर निगम में भ्रष्ट कर्मचारियों को दिए जाने वाले संरक्षण की हकीकत उजागर होकर सामने आ गई है। हाल ही में करोड़ों रुपए की संपत्ति के मामले में पकड़े गए नगर निगम के कर्मचारी को बर्खास्त या निलंबित करने के बजाए स्थानांतरित करते हुए मामले मैं कार्रवाई की खानापूर्ति कर दी गई है।
विधायक शुक्ला ने कहा कि पिछले दिनों राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो के द्वारा इंदौर नगर निगम के लेखा अधिकारी के भरोसेमंद कर्मचारी राजकुमार सालवी के निवास पर छापामार कार्रवाई की गई थी। इस छापे में राजकुमार के पास करोड़ों रुपए की अकूत संपत्ति मिली। पिछले कई सालों से यह राजकुमार नगर निगम के खजाने का राजा बना हुआ था। निगम के उच्च अधिकारियों के लिए ठेकेदारों के भुगतान की राशि में से वसूली करने का कार्य इसके जिम्में रहा है। इस कर्मचारी के द्वारा हर भुगतान में रिश्वत के रूप में एक निश्चित प्रतिशत राशि लिए जाने की शिकायत के आधार पर राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो के द्वारा कार्यवाही की गई।
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शुक्ला ने बताया कि पिछले दिनों ब्यूरो के द्वारा इस कार्रवाई की सूचना इंदौर नगर निगम को भेजी गई। ब्यूरो के द्वारा 29 अक्टूबर को यह सूचना नगर निगम को भेजी गई। इस सूचना के आधार पर निगम की ओर से भ्रष्टाचार के मामले में लिप्त पाए गए इस कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की जाना थी। यह कर्मचारी नगर निगम का स्थाई कर्मचारी भी नहीं है, ऐसे में इस कर्मचारी को सेवा से बर्खास्त किया जाना था अथवा निलंबित किया जाना था। इस मामले में नगर निगम आयुक्त के द्वारा भ्रष्ट कर्मचारी को संरक्षण देते हुए इस तरह की कोई कार्रवाई करने से अपने आपको बचा लिया गया है। राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो के द्वारा भेजे गए पत्र के आधार पर निगमायुक्त ने गत दिनों एक आदेश जारी कर इस भ्रष्ट कर्मचारी राजकुमार सालवी को लेखा विभाग से हटाकर नगर निगम के ट्रेचिंग ग्राउंड पर पदस्थ कर दिया है। इस घटना से यह स्पष्ट है कि नगर निगम में भ्रष्ट कर्मचारियों को किस तरह से उच्च अधिकारियों के द्वारा सहयोग और संरक्षण प्रदान किया जाता है।
शुक्ला ने कहा कि पिछले दिनों हम सभी के आराध्य भगवान गणेश जी की प्रतिमा के साथ गलत बर्ताव करने और लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के मामले के आरोपी इंदौर नगर निगम के कार्यक्रम अधिकारी शैलेश पाटोदी को भी निलंबन के बाद विभागीय जांच को समाप्त करते हुए तत्काल बहाल कर दिया गया था। यह घटनाएं इस बात का संकेत दे रही है कि इंदौर नगर निगम में नियम कायदे का शासन नहीं है बल्कि मनमर्जी का राज चल रहा है।