भारत का आखिरी रेलवे स्टेशन, यहां आज भी सब कुछ हैं अंग्रेजों के जमाने का

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आज हम आपको देश के ऐसे रेलवे स्टेशन के बारे में बताने जा रहे हैं जो भारत का सबसे आखिरी रेलवे स्टेशन हैं। यहां आज भी अंग्रेजों के जमने की टिकट मिलती हैं। कहा जाता है कि महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस जैसे लोग ढाका जाने के लिए इस रास्ते का इस्तेमाल करते थे। आज लगभग सभी लोग ट्रैन में सफर करते है लेकिन बहुत कम लोगों को पता हैं कि भारत का अंतिम स्टेशन कौन सा हैं। भारत का वो स्टेशन जिसके बाद भारत की सीमा खत्म होने के बाद किसी दूसरे देश की सीमा लग जाती हैं। आज भी वैसा का वैसा बना हुआ है, जैसा उसे अंग्रेज छोड़कर गए थे। इस स्‍टेशन का नाम सिंहाबाद है, जो बांग्‍लादेश की सीमा से लगा हुआ हैं। आइए जानते हैं भारत के इस आखिरी स्‍टेशन के बारे में.

वीरान पड़ा है रेलवे स्‍टेशन-

आज भी सिंहाबाद रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के हबीबपुर इलाके में हैं। कहा जाता है कि किसी जमाने में ये स्‍टेशन कोलकाता और ढाका के बीच संपर्क स्‍थापित करने वाला हुआ करता था। यहां से कई यात्री ट्रेन होकर गुजरती थीं। लेकिन आज के समय में ये स्‍टेशन एकदम वीरान पड़ा है और यहां कोई यात्री ट्रेन भी नहीं रुकती।

सब कुछ अंग्रेजों के जमाने का-

सिंहाबाद रेलवे स्‍टेशन में आज भी अंग्रेजों के जमाने का सामान रखा हैं। यहां आज भी कार्डबोर्ड के टिकट मिल जाएंगे। ऐसा आपको किसी भी रेलवे स्‍टेशन पर देखने को नहीं मिलेगा। इसके अलावा सिग्रल, संचार और स्टेशन से जुड़े सारे उपकरण, टेलीफोन और टिकट आज भी अंग्रेजों के जमाने के हैं।

स्‍टेशन के नाम के साथ लिखा है ‘भारत का अंतिम स्‍टेशन’-

सिंहाबाद स्‍टेशन के नाम के साथ बोर्ड पर लिखा है ‘भारत का अंतिम स्‍टेशन’. कहा जाता है कि किसी जमाने में महात्‍मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस जैसे लोग ढाका जाने के लिए इस रास्ते का इस्‍तेमाल किया करते थे। लेकिन आज सिर्फ इसके इस्तेमाल मालगाड़‍ियों के लिए होता हैं।

आज भी लोग कर रहे ट्रेन रुकने का इंतजार-

साल 2011 में इस समझौते में एक बार फिर से संशोधन किया गया और इसमें नेपाल को भी जोड़ लिया गया। आज इस स्‍टेशन से बांग्लादेश के अलावा नेपाल जाने वाली मालगाड़ियां भी गुजरती हैं। हालांकि यहां के लोग आज भी इस स्‍टेशन पर यात्री ट्रेन रुकने का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन कोई भी यात्री ट्रेन यहां नहीं रुकती।