आसन भारतीय अष्टांग योग का एक महत्वपूर्ण (Important) अंग है। योग मात्र शारीरिक व्यायाम (Physical exercise) ना होकर एक सम्पूर्ण जीवन शैली है, जिसके नियमित अभ्यास से आत्मा से परमात्मा का योग अर्थात जुड़ाव संभव हो पाता है। भारतीय योग में असंख्य योग आसनों का समावेश है, जिनके नियमित अभ्यास से शारीरिक और मानसिक विकार दूर होते हैं और दृढ़ता का विकास होता है। साधक बेहतर स्वास्थ्य को प्राप्त करता है और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृध्दि होती है।
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एकमात्र आसन है वज्रासन जो किया जा सकता है भोजन के बाद
भारतीय योग दर्शन में अनेकों योग आसन समाहित हैं। लगभग सभी आसन भोजन से पहले खाली पेट किए जाने के निर्देश योग दर्शन में दिए गए हैं। एकमात्र अपवाद स्वरूप जो आसन है उसका नाम है वज्रासन जोकि अन्य आसनों के विपरीत भोजन ग्रहण करने के बाद भी किया जा सकता है। इसके नियमित अभ्यास से कब्जियत और मोटापे से छुटकारा मिलता है, पाचन तंत्र मजबूत होता है और रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। शारीरिक और मानसिक दृढ़ता की प्राप्ति होती है और नाम के अनुरूप शरीर और मन वज्र के समान दृढ़ता को प्राप्त होते हैं।
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किस तरह करें अभ्यास
वज्रासन को करने के लिए आप साफ खुले स्थान पर एक चादर या चटाई बिछा लें। ततपश्चात वहां घुटने के बल खड़े हो जाये ।फिर पीछे की ओर झुकते हुए और कूल्हों को एड़ी पर रख कर बैठ जाये । सिर को सीधा और हाथों को अपने घुटनों पर रखें। अपनी आँखें बंद करें और श्वास लेने और छोड़ने पर ध्यान केंद्रित करें। प्रारम्भिक दिनों में 5 – 10 मिनट के लिए इस स्थिति का अभ्यास करें और धीरे-धीरे बढ़ाकर 20 – 30 मिनट तक करें।
सावधानियां
वज्रासन वैसे तो एक सुरक्षित आसन है और सभी आयुवर्गों के साधकों को इसके अभ्यास की सलाह दी जाती है। परतनु कुछ सामान्य सावधानियां इसके अभ्यास में रखनी चाहिए। घुटने के दर्द के मरीज और गर्भवती महिलाएं और पेट अथवा आंत के आपरेशन कराए हुए मरीजों को इस आसन को करते हुए विशेष सावधानी रखने की आवश्यकता होती है।