उज्जैन 24 अक्टूबर। उच्चशिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव के मुख्य आतिथ्य एवं सांसद श्री अनिल फिरोजिया की अध्यक्षता में परम्परा और आधुनिकता के संगम के साथ पांच दिवसीय विक्रमोत्सव 2021 का शुभारम्भ रविवार 24 अक्टूबर को कालिदास अकादमी के पं. सूर्यनारायण व्यास संकूल में सम्पन्न हुआ। गणनायक की स्तुति स्वरूप चित्र प्रदर्शनी के साथ विक्रमोत्सव का शुभारंभ संपन्न हुआ। कोरोना गाईडलाईन का पालन करते हुए विक्रमोत्सव 21 के महानाट्य ‘सम्राट विक्रमादित्य’ अपने पुराने वैभव के साथ नयी डिजीटल तकनीक में प्रस्तुत किया गया। कलाप्रेमियों के लिए यह एक अलग और नए किस्म का अनुभव था। इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भारतीय समाज का सर्वाधिक लोकप्रिय नायक राजा विक्रमादित्य ही है। इतिहास में ऐसे व्यक्ति बिरले ही होते है, जिनकी उपस्थिति समय की धारा बदल देती है और वे स्वयं इतिहास बन जाते है। ऐसे ही व्यक्ति थे सम्राट विक्रमादित्य। आज भारत वर्ष में प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में एक विशिष्ट छवि एवं अत्यंत आदर रखतें हैं। जिनकी राजसभा में महाकवि कालिदास सहित नवरत्नों से सुशोभित थी।
उच्चशिक्षा मंत्री डॉ. यादव ने इस बार विक्रमोत्सव नए कलेवर में मंचन हो रहा है। अब महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ का उज्जैन में कार्यालय विक्रमकीर्ति मंदिर के समीप बिड़ला भवन में रहेगा। उज्जयिनि के पुराने इतिहास की वेशभूषा के लिए भी एक कक्ष निर्धारित किया जायेगा। विक्रमोत्सव कार्यक्रम जनता के विश्वास से ही सफल होता आ रहा है। उन्होंने कहा कि विक्रमादित्य जैसे विराट व्यक्तित्व की जन्म से लेकर सम्राट बनने तक की संपूर्ण गाथा को संस्था विशाला सांस्कृतिक एवं लोकहित समिति उज्जैन के द्वारा महानाट्य में प्रस्तुत किया है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सांसद श्री अनिल फिरोजिया ने उच्चशिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव की कार्यों की प्रशंसा करते हुए राजा विक्रमादित्य के उल्लेखनीय कार्यों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि उज्जैन नगरी का गौरव प्राचीनकाल से चला आ रहा है। यह नगरी अद्भभूत नगरी है। इस अद्भभूत नगरी में भगवान श्रीकृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की। यह नगरी पुण्यप्रताप नगरी है। उज्जैनवासी धन्य हैं। उन्होंने कहा कि आज जितनी पुस्तकों का विमोचन हुआ है। उन शोधकर्ताओं को साधुवाद देते हुए कहा कि आम जनता को उनके शोध से हमें नई-नई बातें सिखने को मिल रही है।
कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत भाषण देते हुए विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने जानकारी दी कि विक्रमोत्सव-21 में तीन चित्र प्रदर्शनी, चार नाट्य प्रस्तुतियां एवं समापन दिवस पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। उज्जैन का गौरवशाली इतिहास रहा है। इस अवसर पर महाराज विक्रमादित्य शोध पीठ द्वारा प्रकाशित सात मूल्यवान पुस्तकों का विमोचन भी अतिथियों के द्वारा किया गया। विक्रमोत्सव 21 के प्रथम दिवस जिन मूल्यवान किताबों का विमोचन हुआ, उनमें विक्रमकालीन पुरातत्वीय मुद्रा और मुद्रांक, विक्रम संवत् ऐतिहासिक अध्ययन, संस्कृत वांग्मय में जल : स्वरूप एवं प्रबंधन, किंवदंती पुरुष महाराज भोज, विक्रमादित्य विषयक पुरातात्विक साक्ष्य, विक्रमादित्य कालीन न्याय व्यवस्था एवं द मेस्ट ऑफ क्रियेशन इंडस वैली कल्चर सील्स शामिल हैं। कार्यक्रम में चित्र प्रदर्शनी गणनायक, विक्रमकालीन पुरात्तत्वीय मुद्रा एवं मुद्रांक एवं स्वराज संस्थान संचालनालय द्वारा मध्यप्रदेश के क्रांतिकारी का उद्घाटन हुआ। प्रदर्शनी समापन दिवस तक अवलोकन के लिए खुली रहेगी। कार्यक्रम के प्रारंभ में श्रीराम तिवारी ने अतिथियों का पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया। स्वागत के पूर्व अतिथियों ने दीप दीपन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव एवं सांसद श्री अनिल फिरोजिया ने श्री संजीव मालवीय और श्री विजेन्द्र वर्मा का पुष्पहार से स्वागत किया।
इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पाण्डेय, पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति श्री विजय कुमार, श्री राजेश कुशवाह, श्री रूप पमनानी, श्री प्रशांत पौराणिक, श्री ओम जैन, डॉ. रमण सोलंकी एवं अन्य गणमान्य नागरीक उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन श्री दिनेश दिग्गज एवं कार्यक्रम कें अंत में आभार महाराजा विक्रामादित्य शोधपीठ के निदेशक श्री श्रीराम तिवारी ने प्रकट किया।
आयोजन के समापन की शाम अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया जायेगा। इस आयोजन में प्रतिष्ठित कवि पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे, रायपुर, डॉ. दिनेश रघुवंशी, नईदिल्ली,डॉ. कमलेश राजहंस, सोनभद्र, सुश्री श्वेता सिंह, बडोदरा, सुश्री प्रियंका राय, वाराणसी,पं. अशोक नागर, शाजापुर, श्री राहुल शर्मा, खोरिया एमा (उज्जैन) कविता पाठ करेंगे।