फैसलों का वर्षों फासला जुर्म की फसल बो देता है…अन्याय का लम्बा प्रश्रय न्याय का मार्ग खो देता है…

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By Srashti BisenPublished On: August 23, 2024

दरिंदगी की दर्दभरी दास्तानें दैत्यों के जंगलराज का दावानल बन गई है…इंसानियत के उसूलों की शैतानियत के किरदारों से जोरदार ठन गई है…दरिंदगी का घिनौना अध्याय हो गया…पूरा देश बलात्कार का पर्याय हो गया…मासूम को सूम काटकर उठा लेते हैं…फिर उसके अबोध तन को घृणित यातनाएं देते हैं…अधेड़ की उम्र की बिन परवाह उसे उधेड़ देते हैं वासना की लत में…फिर धड़ सर से अलग करके तड़पता हुआ छोड़ जाते हैं..

दर्दभरी हालत में…इंसानियत की रूहें कांप जाती है कई घटनाओं का ब्यौरा सुनकर…गोलियों से उड़ाने का मन करता है ऐसे निकृष्टों को चुनचुनकर…महाराष्ट्र का बदलापुर हो या राजस्थान का अजमेर या पश्चिम बंगाल का कोलकाता…हर जगह रहा है वहशियों का बलात्कार जैसी घृणित घटनाओं से नाता…बत्तीस साल पहले सौ से अधिक लड़कियों को प्रेमजाल में फंसाया…सोहेल , सलीम , नफीस , जमीर , नसीम , इकबाल को न्यायालय ने उम्रकैद का फरमान सुनाया…ब्लैकमेल करके बलात्कार करने वाले इन नामों पर जरा गौर फरमाइए…देशभर में ऐसे अनेक लव जिहाद के किस्से जरा इनके समर्थकों को बताइये…अखिलेश , राहुल , ममता , अरविन्द के अन्तस्थ को जोर जोर से हिलाइये…फिर इनके घुमावदार बयानों का बचाव तुरन्त पाइए…क्या राजनीति में भी अब ज़मीर ज़िन्दा है…

डॉक्टर बहनों तुम्हारे साथ हो रहे बर्ताव पर हम शर्मिन्दा हैं…मुद्दों पर यदि न्यायालय स्वतः संज्ञान न ले अथवा कोई मजबूती से डटा न रहे…तो अपनी दर्दभरी दास्तान क्यों कोई नारी किसी जवाबदार से कहे…देश में हजारों प्रकरणों को लोकलाज की गिरफ्त में दबाया जाता है…कई ऐसे मामले हैं जिनको पीड़ितों द्वारा भी छुपाया जाता है…संसद में महिला आरक्षण दे देने से कोई महिलाओं की सुरक्षा नहीं होगी…संसद सदस्य के पद पर बैठकर भी स्वाति मालीवाल ने केजरीवाल के घर रो रोकर यातना भोगी…चांद पर नारी जा सकती है लेकिन धरती पर चलने में भयभीत है…पुरुष का शरीर बल ही कमजोर महिलाओं पर उनकी जीत है…दरिंदगी की दर्दभरी दास्तानें दैत्यों के जंगलराज का दावानल बन गई है…इंसानियत के उसूलों की शैतानियत के किरदारों से जोरदार ठन गई है…अबोध मासूम से जब कोई उम्रदराज खोटा काम करता है…तो समूचा समाज उसे मानसिक वितृष्णा का नाम धरता है…

कब तक झेलेंगे हम इन मनोविकारी तत्वों को जमीन पर…क्यों दया आ जाती है कालांतर में दुनिया को ऐसे कमीन पर…फैसलों का वर्षों फासला जुर्म की फसल बो देता है…अन्याय का लम्बा प्रश्रय न्याय का मार्ग खो देता है…समय पर कठोर दंड आतताइयों में भय का पैगाम होगा…मजा चाहने वालों को सजा का प्रावधान ही व्याभिचारियों से संग्राम होगा…कल्पनातीत है कुकर्म के पैरोकारों का राजनीतिक स्टंट…बिना अर्थिंग के जुड़े इन तारों में कहीं नहीं होता है करंट…जनता की ताकत ही असल ताकत है प्रजातन्त्र में…कोई ज्यादा दूर नहीं चल पाता है ऐसे षड्यंत्र में…बलात्कारियों से सरोकार रखने वाले नेताओं को भी धूल चटाइये…चुनाव के समय चरण चूमने वालों को मिट्टी में मिलाइये।