उज्जैन में आज दिखेगा दिव्यता का अद्भुत संगम, एक ही दिन दो बार नगर भ्रमण पर निकलेंगे भगवान महाकाल

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By Pinal PatidarPublished On: November 3, 2025

उज्जैन का आज का दिन आध्यात्मिकता और भक्ति से सराबोर रहने वाला है। सोमवार, 3 नवंबर को भगवान महाकालेश्वर की दो भव्य सवारियां एक ही दिन नगर भ्रमण पर निकलेंगी यह दृश्य भक्तों के लिए किसी दिव्य पर्व से कम नहीं होगा। सात घंटे के अंतराल में निकलने वाली इन दोनों सवारियों का यह दुर्लभ संयोग इसलिए खास है क्योंकि इस वर्ष कार्तिक माह की दूसरी सवारी और वैकुंठ चतुर्दशी एक ही दिन पड़ रहे हैं। श्रद्धालु इस दिन महाकाल के दो अलग-अलग स्वरूपों के दर्शन कर स्वयं को धन्य मानेंगे।

वैकुंठ चतुर्दशी पर बन रहा दुर्लभ धार्मिक योग



महाकाल मंदिर प्रबंधन समिति के अनुसार, रविवार आधी रात के बाद से ही चतुर्दशी तिथि का आरंभ हो जाएगा, जिससे वैकुंठ चतुर्दशी का शुभ पर्व प्रारंभ होगा। इस पावन अवसर पर सोमवार शाम 4 बजे भगवान महाकालेश्वर की कार्तिक माह की दूसरी सवारी निकाली जाएगी। इस सवारी में भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में रजत पालकी में विराजमान होकर नगर भ्रमण करेंगे। रजत पालकी के दर्शन के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ेगा, और पूरा शहर “हर-हर महादेव” के जयघोष से गूंज उठेगा।

रात में हरिहर मिलन की भव्य सवारी होगी आयोजित

इस दिन का दूसरा बड़ा आकर्षण रात 11 बजे निकाली जाने वाली हरिहर मिलन सवारी होगी। धार्मिक मान्यता है कि वैकुंठ चतुर्दशी की इस रात भगवान महाकाल (हर) स्वयं भगवान विष्णु (हरि) को सृष्टि का संचालन सौंपते हैं। यह सवारी महाकाल मंदिर से शुरू होकर गुदरी चौराहा, पटनी बाजार होते हुए द्वारकाधीश गोपाल मंदिर तक पहुंचेगी। भगवान हर और हरि का यह दिव्य संगम, शिव और विष्णु भक्ति का अद्भुत प्रतीक है।

भक्तों के लिए दुर्लभ संयोग, शहर में उमड़ेगी श्रद्धा की भीड़

आम तौर पर दोनों सवारियां अलग-अलग अवसरों पर निकलती हैं, लेकिन इस बार एक ही दिन दोनों का आयोजन भक्तों के लिए बहुत ही विशेष अवसर लेकर आया है। यह अनोखा योग वर्षों बाद देखने को मिल रहा है। श्रद्धालु सुबह से ही मंदिर परिसर में एकत्र होंगे, ताकि वे दोनों सवारियों के दर्शन कर सकें। उज्जैन का पूरा शहर दीपों, फूलों और धार्मिक संगीत से सजा रहेगा — नर्मदा तट की तरह शिप्रा तट भी भक्ति की ज्योति से आलोकित होगा।

भक्ति और आध्यात्मिकता से सराबोर रहेगा उज्जैन

वैकुंठ चतुर्दशी के इस पावन अवसर पर उज्जैन के घाटों और गलियों में भक्ति का सागर उमड़ेगा। स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूर-दराज से आए श्रद्धालु भी इस अद्भुत दृश्य के साक्षी बनेंगे। दोनों सवारियों के दौरान नगर में सुरक्षा और व्यवस्था के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। महाकाल की नगरी उज्जैन आज भक्ति, परंपरा और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक बनेगी।