आम आदमी को बड़ी राहत, RBI ने घटाया रेपो रेट, अब लोन लेना होगा और भी सस्ता

RBI ने रेपो रेट में 0.50% की कटौती कर इसे 5.50% कर दिया है और CRR को भी 1% घटाकर 3% किया है। इससे लोन सस्ते होंगे, EMI कम होगी और सिस्टम में 2.5 रुपए लाख करोड़ की लिक्विडिटी आएगी। यह फैसला महंगाई नियंत्रण और आर्थिक गति बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है।

Srashti Bisen
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों को दिए जाने वाले ऋण पर ब्याज दर यानी रेपो रेट में 0.50% की कटौती की है, जिसके बाद यह दर घटकर 5.50% हो गई है। यह निर्णय मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की 4 से 6 जून तक चली बैठक में लिया गया, जिसकी जानकारी 6 जून को गवर्नर संजय मल्होत्रा ने दी। इस कटौती का सीधा फायदा बैंकों को होगा क्योंकि अब उन्हें RBI से सस्ते दर पर कर्ज मिलेगा।

अगर बैंक इस दर में आई कमी का लाभ अपने ग्राहकों को देते हैं, तो आने वाले समय में लोन की ब्याज दरें घट सकती हैं, जिससे EMI कम हो जाएगी। इससे रियल एस्टेट और ऑटो सेक्टर में मांग बढ़ने की संभावना है। उदाहरण के तौर पर, ₹20 लाख के 20 साल के लोन पर अब ग्राहक को करीब ₹1.48 लाख का फायदा मिल सकता है।

तीसरी बार ब्याज दरों में कटौती, कुल 1% की राहत

वित्त वर्ष 2025-26 में यह तीसरी बार है जब RBI ने रेपो रेट में कटौती की है। पहली बार फरवरी में दर 6.5% से 6.25% की गई, फिर अप्रैल में 0.25% और अब जून में 0.50% की कटौती की गई है। इस प्रकार कुल मिलाकर 1% की राहत दी गई है।

CRR में कटौती से सिस्टम में आएंगे 2.5 रुपए लाख करोड़

RBI ने केवल रेपो रेट ही नहीं, बल्कि कैश रिज़र्व रेश्यो (CRR) को भी 1% घटाकर 4% से 3% कर दिया है। इस फैसले से बैंकिंग सिस्टम में ₹2.5 लाख करोड़ की अतिरिक्त राशि आएगी। CRR वह राशि है जो बैंक अपनी कुल जमा राशि का एक हिस्सा RBI के पास रखते हैं। इसे कम करने से बैंकों के पास अधिक लिक्विडिटी आ जाती है और वे ज्यादा ऋण दे सकते हैं।

रेपो रेट क्या है और इसका असर कैसे पड़ता है?

रेपो रेट वह दर होती है जिस पर RBI बैंकों को अल्पकालिक कर्ज देता है। जब इस दर में कटौती होती है तो बैंकों के लिए पूंजी सस्ती हो जाती है, और वे ग्राहकों को भी सस्ती दरों पर ऋण देना शुरू कर देते हैं। इससे उपभोग और निवेश को बढ़ावा मिलता है, जो आर्थिक वृद्धि के लिए जरूरी है।

RBI रेपो रेट का इस्तेमाल मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए करता है। जब महंगाई बढ़ती है, तो रेपो रेट बढ़ाकर बाजार में धन की मात्रा को कम किया जाता है। इसके उलट, जब अर्थव्यवस्था में मंदी हो, तब रेट घटाकर मांग को प्रोत्साहित किया जाता है।

हर दो महीने में होती है नीतिगत बैठक

RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी में 6 सदस्य होते हैं, जिनमें से 3 RBI और 3 केंद्र सरकार द्वारा नामित होते हैं। यह समिति हर दो महीने में बैठक करती है। वर्ष 2025-26 में कुल 6 बैठकें निर्धारित की गई हैं, जिसमें अगली बैठकें पहले से तय शेड्यूल के अनुसार होंगी।