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पिंटू छाबड़ा का कांड आया सामने, गायब करवाई थी रजिस्ट्री में से एक शर्त 

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By Akanksha JainPublished On: July 27, 2021

इंदौर। एबी रोड पर बने C-21 मॉल की अनियमितताओं को लेकर प्राधिकरण द्वारा दस्तावेजों की जांच में अधिकारी पहली नजर में दोषी साबित नहीं हुए। लेकिन आपको बता दें कि, C-21 मॉल के मालिक पिंटू छाबड़ा द्वारा पांच रजिस्ट्रियों में क्लर्क से सांठगांठ कर एक शर्त को विलोपित करवाया गया था। वहीं दूसरी ओर यह मामला अदालत में भी कई जगहों पर तकनीकी खराबियों के कारण खड़ा नहीं हो पाएगा। जिसके बाद अब खुद प्राधिकरण ने यहां पर प्लाटों के संयुक्तिकरण को एनओसी दी है। उसी आधार पर नगर नियोजन विभाग ने नक्शा पास किया था।

क्या है पूरा मामला

पिंटू छाबड़ा का कांड आया सामने, गायब करवाई थी रजिस्ट्री में से एक शर्त 

साथ ही पूरे मामले की बात की जाए तो आपको बता दें कि, साल 1980 के दशक में चाय व्यापारी और किराना व्यापारियों को यहां पर भूखंड आवंटित किए गए थे। उस समय दिए गए भूखंडों को लेकर साधारण व्यावसायिक प्लाट की रजिस्ट्रियां की गई थीं, जिनमें किसी भी प्रकार की शर्त नहीं थी। लेकिन जिन लोगों को भूखंड दिए जा रहे थे, उन्होंने अपना कारोबार पुराने स्थान पर बंद नहीं किया। जिसकी वजह से प्राधिकरण ने 2005 में लीज डीड में 23वें नंबर पर यह शर्त और जोड़ दी कि प्लाट खरीदी की रजिस्ट्री के बाद शहर से व्यवसाय को हटाना होगा।

लेकिन कानूनन प्राधिकरण को यह अधिकार था ही नहीं की वो ऐसा करें। हालांकि प्राधिकरण को इस शर्त को जोड़ने से पहले आवाज उठानी थी लेकिन उस समय किसी ने कुछ नहीं बोला। यदि कोई भी व्यापारी आपत्तियों को लेकर कोर्ट जाता तो यह शर्त उसी समय खारिज हो जाती लेकिन उस वक्त किसी ने कोई कदम नहीं उठाया। वहीं आपको बता दें कि, मॉल के मालिक पिंटू छाबड़ा ने मॉल में पांच प्लॉटों को खरीदने के बाद रजिस्ट्री करवाई थी। पिंटू छाबड़ा ने प्राधिकरण के क्लर्क की मिलीभगत से तेईस नंबर की इस शर्त को रजिस्ट्री से विलोपित करवा दिया कि उन्हें पुराना कारोबार पूर्व स्थान पर बंद करना होगा।

उस समय प्राधिकरण में सम्पदा अधिकारी राख्या और रघुवंशी पदस्थ थे। दरअसल, रजिस्ट्रियां देखने और जांचने का काम क्लर्क का होता है और अधिकारी को सिर्फ पन्ने पर हस्ताक्षर ही करने होते हैं। उस समय तीस से अधिक रजिस्ट्रियों पर हस्ताक्षर करने के पहले दस्तावेजों की जांच क्लर्क ने ही की थी। हालांकि इस पूरे मामले की जांच नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्रसिंह द्वारा एक शिकायती पत्र के आधार पर शुरू की गई थी। लेकिन इस पूरे मामले में अब पिंटू छाबड़ा पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि यह मामला प्राधिकरण स्तर पर ही गलत पाया गया है।