बिहार में एक तरफा जीत हासिल करने के बाद भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है। जहां एक तरफ विपक्ष के भरी हंगामे के बाद नीतीश कुमार ने अपने शिक्षा मंत्री डॉ मेवालाल चौधरी से इस्तीफा ले लिया। तो वहीं अब तेजस्वी यादव से भी अब नैतिकता के आधार पर नेता प्रतिपक्ष छोड़ने की मांग जोर पकड़ रही है। अब इस कड़ी में एक और बड़ा खुलसा हुआ है जो के बिहार में नई बनी हुई सरकार के लिए खतरे का सबब बन सकता है। दरअसल एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और इलेक्शन वॉच की स्टडी में पाया गया की बिहार में नई बनी नीतीश सरकार के 57 फीसदी मंत्री दागी है जिन पर कोई न कोई आपराधिक मामले दर्ज है। और उनमें से 43 प्रतिशत मंत्री के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
इस आपराधिक मामले वालो में से सबसे ज्यादा मंत्री बीजेपी के 4, जेडीयू के 2 और हम व वीआईपी के एक-एक शामिल हैं। हालांकि चौधरी को मंत्रिमंडल में शामिल करते ही हंगामा शुरू हो गया और उन्हें इस्तीफा देना पड़ गया। आपको बता दे कि पूर्व में 2017 पर चौधरी के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनसे मिलने से भी मना कर दिया था। लेकिन इस के बाद उनको सीएम के मंत्री मंडल में देखते सब कोई हैरान था।
![नीतीश सरकार में 6 मंत्री है दागी, कुल 14 में से 6 मंत्री पर लगे हुए गंभीर आपराधिक मामले 4](https://ghamasan.com/wp-content/uploads/2020/11/nitish-kumar-shapath.jpg)
आपको बता दे कि मेवालाल चौधरी के ऊपर बीएयू भर्ती घोटाले का आरोप लगा था जिसके बाद राजभवन से आदेश आने के बाद उनके खिलाफ 161 सहायक प्रोफेसर और कनिष्ठ वैज्ञानिकों की नियुक्ति के मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। मेवालाल चौधरी मंत्री मंडल से सबसे 12.31करोड़ रुपए की घोषित संपत्ति के साथ अमीर मंत्री थे।