MP News : CM शिवराज ने किया एलान, भोपाल और इंदौर में होगी पुलिस कमिश्नर व्यवस्था

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By Suruchi ChircteyPublished On: November 22, 2021
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MP News: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने घोषणा की है भोपाल और इंदौर जिलों में पुलिस कमिश्नर व्यवस्था लागू की जाएगी। कई दशक तक विचार करने के बाद अंततः मध्यप्रदेश में पुलिस कमिश्नर व्यवस्था (Police commissioner system) लागू होने जा रही है। पुलिस कमिश्नर व्यवस्था के समर्थन और विरोध में लंबी अंतहीन बहस हुई है और हो सकती है। इसे आईएएस विरुद्ध आईपीएस वर्चस्व की लड़ाई कहा जाता है। मैं लगभग 29 वर्षों तक प्रशासनिक सेवा में रहा जिसमें एसडीएम, एडीएम, डीएम और डिविजनल कमिश्नर के पद मैने संभाले हैं।

सेवा निवृत्ति के बाद पिछले 17 वर्षों से एक नागरिक की हैसियत से सरकारी विभागों के कार्य कलापों को देख रहा हूं। मैं इस व्यवस्था के पक्ष या विपक्ष में नहीं लिखकर उक्त अनुभव के बाद कुछ प्रश्न रख रहा हूं, जिनका उत्तर निरपेक्ष भाव से चाहता हूं।

1.भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में जहां सभी विभागों के अधिकारियों द्वारा विशेषतः पुलिस द्वारा अधिकारों का दुरुपयोग कर मानव अधिकारों को कुचलने के मामले बढ़ रहे हैं, अधिकारों में कटौती की जानी चाहिए या बढ़ोतरी?

2. इस व्यवस्था के समर्थन में तर्क दिया जाता है कि इस व्यवथा से कानून व्यवस्था के विषय में त्वरित निर्णय लिए जा सकेंगे, अभी डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट द्वारा विलंब से निर्णय लिए जाते हैं, जिसके कारण कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ती है।

क्या कोई भी व्यक्ति एक भी ऐसा उदाहरण बता सकता है जिसमें डी एम,/ ए डी एम / एस डी एम द्वारा विलंब से निर्णय लेने के कारण कानून व्यवस्था बिगड़ गई हो? वस्तु स्थिति यह है कि उक्त प्रशासनिक अधिकारी पुलिस अधिकारी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर त्वरित निर्णय लेकर कानून व्यवस्था संभालते हैं। जितना समय पुलिस अधिकारी देते हैं, उतना ही प्रशासनिक अधिकारी। मेरे तो सभी त्योहार पुलिस कंट्रोल रूम या पुलिस के साथ गश्त में बीते हैं।

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3 इस व्यवस्था के पक्ष में कहा जाता है कि जिन नगरों में यह व्यवस्था लागू है, वहां क्राइम कम है और कानून व्यवस्था बेहतर है। क्या दिल्ली में क्राइम कम है? रेप के दिल दहलाने वाले केस कम हैं? क्या अन्य शहरों में जहां यह व्यवस्था लागू है, क्राइम कम है? क्या दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद के सांप्रदायिक दंगों में भीषण नरसंहार इसलिए हो गया था कि वहां डी एम ने त्वरित कार्यवाही नहीं की, या यह पुलिस कमिश्नर व्यवस्था की असफलता थी?

4. क्या फर्जी एनकाउंटर की, जिनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जांच पुलिस के किसी अधिकारी द्वारा किया जाना न्यायोचित होगा? इसकी जांच कार्यपालिक मजिस्ट्रेट को नहीं करनी चाहिए?

5. क्या यह सच नहीं है कि जो प्रधान मंत्री / मुख्य मंत्री डंडे के बल पर असहमति को कुचल कर अपना शासन कायम रखना चाहते हैं, वे पुलिस को और अधिक सशक्त बनाना चाहते हैं?

6. कानूनों का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग देखने के बाद क्या वर्तमान कानून को और कड़ा बनाना चाहिए या ऐसे कानून हटाना चाहिए?

7.क्या कानून बलशाली को रोकने के काम आ रहे हैं या निर्बल और मध्यम वर्ग को प्रताड़ित करने और शोषण के लिए?

8. मुम्बई पुलिस कमिश्नर परमजीत सिंह के फरार होने तथा जबरन उगाही के मामले पुलिस कमिश्नर व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह नहीं लगाते?
जयहिंद।