मंडी में आवक की कमी से मूंग के भाव में तेजी का सिलसिला, जानें आज के ताजा मंडी रेट

मूंग के भाव 8000-8300 रुपये/क्विंटल तक पहुंचे, MSP में 95% वृद्धि और पोल्ट्री मांग से तेजी। किसानों को फायदा, लेकिन जून में मॉनसून और वैश्विक मांग से भाव 8500 पार हो सकते हैं।

sudhanshu
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Moong Mandi Bhav: मूंग की कीमतों में लगातार तेजी का दौर चल रहा है। मंडियों में मूंग के भाव 8000 से 8300 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। केंद्र सरकार की MSP में 95% वृद्धि और पोल्ट्री उद्योग की बढ़ती मांग ने कीमतों को हवा दी है। किसान उत्साहित हैं, लेकिन व्यापारी भविष्य को लेकर सतर्क हैं। आइए, मूंग के भाव, मंडी रेट और भविष्य की संभावनाओं पर नजर डालें।

मंडियों में मूंग की चमक

मूंग के भाव में पिछले 15 दिनों से तेजी देखी जा रही है। नागौर (राजस्थान) में मूंग 8300 रुपये प्रति क्विंटल तक बिका, जबकि नीमच (मध्य प्रदेश) में 8000-8200 रुपये के बीच रहा। उत्तर प्रदेश और बिहार की मंडियों में भाव 7800-8000 रुपये हैं। नई फसल की कम आवक और मांग बढ़ने से कीमतों में 200-300 रुपये की उछाल आई है।

MSP ने बढ़ाया उत्साह

केंद्र सरकार ने 2025-26 के लिए मूंग की MSP में 95% की बढ़ोतरी की, जिससे किसानों का रुझान बढ़ा। मूंग की MSP अब 8500 रुपये प्रति क्विंटल के करीब है। इससे बुवाई में 10-12% वृद्धि की संभावना है। हालांकि, कुछ किसान संगठनों का कहना है कि MSP स्वामीनाथन रिपोर्ट के C2 लागत पर नहीं, बल्कि A2 लागत पर आधारित है।

मांग का बढ़ता दबाव

पोल्ट्री और खाद्य उद्योग में मूंग की मांग बढ़ी है। मई में निर्यात में 5% की वृद्धि ने भी भाव को सहारा दिया। मध्य प्रदेश और राजस्थान में स्टॉक कम होने से व्यापारी बड़ी खरीदारी कर रहे हैं। जून में मॉनसून की शुरुआत से मांग और बढ़ने की उम्मीद है, जिससे भाव 8500-8700 रुपये तक जा सकते हैं।

देश की प्रमुख मंडियों के भाव

  • नागौर (राजस्थान): 8200-8300 रुपये/क्विंटल
  • नीमच (मध्य प्रदेश): 8000-8200 रुपये/क्विंटल
  • लखनऊ (उत्तर प्रदेश): 7800-7900 रुपये/क्विंटल
  • पटना (बिहार): 7700-7800 रुपये/क्विंटल

पिछले हफ्ते की तुलना में 100-150 रुपये की तेजी दर्ज हुई। जून में और उछाल संभव है।

किसानों के लिए सुझाव

विशेषज्ञ सलाह दे रहे हैं कि किसान अभी मूंग बेचने की जल्दी न करें। जून के पहले हफ्ते में भाव 8500 रुपये पार कर सकते हैं। मॉनसून की बारिश और वैश्विक मांग पर नजर रखें। छोटे किसानों को स्थानीय मंडियों के रेट रोजाना चेक करने चाहिए।