मध्यप्रदेश में लंबे समय से राशि भुगतान न होने के कारण अब स्कूलों और आंगनबाड़ियों में संचालित मिड-डे मील योजना पर संकट गहराता जा रहा है। शुक्रवार से जिले के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के रसोई घरों पर ताले लटके। नीमच जिले में भी आज से लगभग 50 हज़ार बच्चों को मध्याह्न भोजन नहीं मिल पाएगा। दरअसल, भोजन पकाने वाले समूहों और आंगनबाड़ी से जुड़े कर्मचारियों को महीनों से भुगतान नहीं किया गया है।
बकाया राशि को लेकर हड़ताल
भोजन पकाने की राशि का लंबे समय से भुगतान न मिलने और अन्य मांगों के समर्थन में प्रदेशभर के समूह संचालकों ने 22 अगस्त से खाना बनाने से इनकार कर दिया है। उन्होंने स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों के किचन बंद कर दिए हैं। यह हड़ताल अनिश्चितकालीन होगी और जब तक बकाया भुगतान नहीं हो जाता, तब तक रसोईघर बंद रहेंगे। नीमच जिले में करीब 830 समूह संचालक और 1200 महिला रसोइयां सामूहिक रूप से इस आंदोलन में शामिल हो चुकी हैं।
हजारों बच्चों के सामने समस्या
इस हड़ताल का सीधा असर जिले के लगभग 869 माध्यमिक और 375 प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले 50 हजार बच्चों पर पड़ा है। वैकल्पिक व्यवस्था न होने की वजह से ये सभी बच्चे अब मिड-डे मील से वंचित रह जाएंगे। यही हाल जिले की आंगनबाड़ियों का भी है, जहां हजारों बच्चों को प्रधानमंत्री पूरक पोषण आहार योजना के तहत सुबह का नाश्ता और दोपहर का भोजन मिलना बंद हो जाएगा।
करोड़ों का बकाया, बढ़ती परेशानी
नीमच जिले के समूह संचालकों और महिला रसोइयों का पिछले चार महीनों का औसत करीब 3 करोड़ 20 लाख रुपये बकाया चल रहा है। इसमें हर माह का औसत लगभग 80 लाख रुपये बनता है। लंबे समय से भुगतान न मिलने की वजह से समूहों की आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी है और मजबूरी में उन्होंने रसोई बंद करने का फैसला लिया है। जब तक यह राशि जारी नहीं की जाती, तब तक मिड-डे मील कक्षों पर ताले ही लटके रहेंगे।