मध्य प्रदेश, जिसे भारत का हृदय कहा जाता है, अपने ऐतिहासिक स्थलों, सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। अब इसी गौरवशाली भूमि पर एक और ऐतिहासिक निर्माण होने जा रहा है, जो न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक आध्यात्मिक आकर्षण का केंद्र बनेगा। सागर जिले में दुनिया का सबसे विशाल जैन तीर्थ मंदिर बन रहा है, जो अपने भव्य आकार, आध्यात्मिक महत्व और स्थापत्य की अनूठी शैली के कारण चर्चा में है।
मध्य प्रदेश के सागर जिले में आगामी पांच वर्षों के भीतर विश्व का सबसे बड़ा जैन मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। मंदिर निर्माण का कार्य 2016 में जैन आचार्य विद्यासागर महाराज के आशीर्वाद से शुरू हुआ था, और यह पिछले नौ वर्षों से निरंतर प्रगति पर है। मंदिर समिति का दावा है कि इस प्रकार का विशाल और भव्य जैन मंदिर अब तक विश्व में कहीं और नहीं बना है, जो इसे अनूठा बनाता है।

राजस्थान और गुजरात के पत्थरों से निर्मित
मंदिर की भव्यता में चार चांद लगाने के लिए विशेष प्रकार के लाल और पीले पत्थरों का उपयोग किया जा रहा है, जिन्हें राजस्थान और गुजरात से मंगवाया गया है। करीब 11 लाख घन फीट पत्थर मंदिर निर्माण में लगाए जा रहे हैं, जो इसे न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि स्थापत्य कला के हिसाब से भी ऐतिहासिक बनाता है। उल्लेखनीय है कि यही पत्थर अयोध्या राम मंदिर और कुंडलपुर के जैन मंदिर में भी उपयोग किए गए हैं।
216 फीट ऊंचा शिखर और 324 मूर्तियों की होगी स्थापना
यह मंदिर सिर्फ आकार में ही नहीं, बल्कि इसकी धार्मिक संरचना भी बेहद विस्तृत है। मंदिर का शिखर 216 फीट ऊंचा होगा, जो दूर-दूर तक नजर आएगा। मंदिर के अंदर 324 जैन मूर्तियां स्थापित की जाएंगी, जिनमें 12 मूल नायक और 12 विधि नायक भगवान शामिल होंगे। मंदिर के प्रत्येक खंड की ऊंचाई लगभग 40 फीट रखी गई है, जिससे इसकी भव्यता और भी अधिक प्रभावशाली प्रतीत होती है।
सहस्त्र जिनालय का भी किया जाएगा निर्माण
मंदिर के ठीक सामने, पूर्व दिशा में सहस्त्र जिनालय का भी निर्माण किया जाएगा, जो श्रद्धालुओं के लिए एक और आकर्षण होगा। आचार्य विद्यासागर महाराज का मानना है कि जहां तक इस मंदिर का शिखर दृष्टिगोचर होगा, वहां तक के वास्तु दोष स्वतः समाप्त हो जाएंगे। यह विचार मंदिर की आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है।