मध्य प्रदेश को भारत का हृदय प्रदेश कहा जाता है, और इसके पीछे कई कारण हैं। यहाँ की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक विरासत, पारंपरिक परिधान, रीति-रिवाज और स्वादिष्ट खानपान इसे देश के अन्य राज्यों से अलग पहचान दिलाते हैं। राज्य में प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर हिल स्टेशनों से लेकर श्रद्धालुओं को आकर्षित करने वाले धार्मिक स्थल तक, घूमने के लिए असंख्य विकल्प मौजूद हैं, जहां सालभर पर्यटकों की आवाजाही बनी रहती है।
इसी प्रदेश में देश का सबसे स्वच्छ शहर भी स्थित है, और राजधानी भोपाल को बेघर-मुक्त बनाने की दिशा में निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। भोपाल न केवल अपने टूरिस्ट स्पॉट्स के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां कई अन्य आकर्षण भी मौजूद हैं। अब इस श्रृंखला में एमपी के एक शहर को एक और बड़ी सौगात मिलने जा रही है, जिससे इसकी पहचान और भी निखरेगी।

सागर में बनेगा दुनिया का सबसे बड़ा जैन मंदिर
आने वाले पांच वर्षों में मध्य प्रदेश के सागर जिले में विश्व का सबसे भव्य और विशाल जैन तीर्थ मंदिर निर्मित किया जाएगा। मंदिर निर्माण समिति का दावा है कि आकार, ऊंचाई और वास्तुशिल्प की दृष्टि से यह मंदिर अब तक दुनिया में बनाए गए किसी भी जैन मंदिर से सबसे बड़ा और भव्य होगा।
इस मंदिर की योजना न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्र को पर्यटन और सांस्कृतिक विकास की नई दिशा भी प्रदान करेगा।
216 फीट ऊंचा होगा शिखर
इस भव्य जैन मंदिर में लगभग 324 प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी, जिसका मुख्य शिखर 216 फीट ऊंचा होगा। आचार्य विद्यासागर जी का मानना है कि इस मंदिर का शिखर जहां तक दिखाई देगा, वहां तक के सभी वास्तु दोष स्वतः समाप्त हो जाएंगे। मंदिर की विशेषताओं में यह उल्लेखनीय है कि इसमें 12 मूलनायक और 12 विधिनायक भगवानों की प्रतिष्ठा की जाएगी। हर खंड की ऊंचाई लगभग 40 फीट होगी। मंदिर के ठीक पूर्व दिशा में सहस्त्र जिनालय का निर्माण भी प्रस्तावित है, जो इसे और भी विशिष्ट बनाएगा।
पांच वर्षों में बनकर तैयार होगा मंदिर
जानकारी के अनुसार, इस भव्य जैन तीर्थ मंदिर का निर्माण कार्य पिछले नौ वर्षों से जारी है, जिसकी नींव वर्ष 2016 में जैन मुनि आचार्य विद्यासागर के आशीर्वाद से रखी गई थी। निर्माण समिति का अनुमान है कि मंदिर आगामी पांच वर्षों में पूरी तरह से तैयार हो जाएगा। मंदिर की संरचना में राजस्थान और गुजरात से लाए गए लाल एवं पीले पत्थरों का उपयोग किया जा रहा है। समिति के एक सदस्य ने बताया कि इस ऐतिहासिक निर्माण में कुल 11 लाख घन फीट पत्थर का प्रयोग हो चुका है। इसी प्रकार का पत्थर अयोध्या में श्रीराम मंदिर और कुंडलपुर के जैन मंदिर के निर्माण में भी इस्तेमाल किया गया है।