मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह के विवादित बयान की जांच कर रही स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (SIT) की प्रक्रिया पर अब गंभीर सवाल उठने लगे हैं। सामने आए तथ्यों के अनुसार, SIT ने वीडियो जांच के लिए उसे ऐसी फॉरेंसिक लैब में भेजा, जहाँ वीडियो विश्लेषण के लिए आवश्यक तकनीकी सुविधाएं मौजूद ही नहीं हैं।
SIT की रिपोर्ट में स्वयं यह स्वीकार किया गया है कि तकनीकी कारणों के चलते वीडियो की जांच नहीं हो पाई। दरअसल, वीडियो भोपाल स्थित एमपी फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) को भेजा गया था, जहाँ केवल वॉयस एनालिसिस की सुविधा उपलब्ध है, जबकि वीडियो फुटेज की फॉरेंसिक जांच की व्यवस्था वहां मौजूद नहीं है। इस लापरवाही के कारण जांच प्रक्रिया फिर से अधूरी रह गई और अब सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई जुलाई में निर्धारित की है।

तीन बिंदुओं में समझिए SIT की पूरी रिपोर्ट
- जिस कार्यक्रम में मंत्री ने विवादित बयान दिया था, वहां उपस्थित लोगों के बयान दर्ज किए गए।
- SIT ने 21 मई को मौके पर पहुंचकर जांच की और वहां से मोबाइल सहित अन्य सबूत एकत्र किए।
- वीडियो को उस लैब में भेजा गया जहाँ जांच की सुविधा ही नहीं थी, जिससे तकनीकी कारणों के चलते प्रक्रिया बाधित हो गई।
ये चूक है या सोची-समझी साज़िश?
इस प्रकरण ने SIT की मंशा और उसकी निष्पक्षता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस नेता जया ठाकुर के वकील वरुण ठाकुर ने यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में जोरशोर से उठाया। उन्होंने कोर्ट में पूछा कि क्या SIT ने जांच प्रक्रिया को जानबूझकर लंबित रखने की कोशिश की है, या फिर उसे यह बुनियादी जानकारी तक नहीं थी कि राज्य की FSL लैब में वीडियो फुटेज का विश्लेषण संभव है या नहीं?
जुलाई में होगी अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने SIT को जांच पूरी करने के लिए अतिरिक्त समय प्रदान किया है, और अगली सुनवाई जुलाई में निर्धारित की गई है। उल्लेखनीय है कि मंत्री विजय शाह ने 11 मई को इंदौर के महू स्थित रायकुण्डा गांव में ऑपरेशन सिन्दूर को लेकर बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कर्नल सोफिया कुरैशी के बारे में टिप्पणी की थी।
FSL निदेशक का दावा, वीडियो वापस कर दिया गया था
भोपाल स्थित मध्य प्रदेश FSL के निदेशक शशिकांत शुक्ला ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उनकी लैब में वीडियो फुटेज की जांच करने की सुविधा उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि जब उन्हें वीडियो सौंपा गया था, तो उन्होंने उसे जांच के लिए SIT को वापस भेज दिया था। यह भी उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश की सभी लैब FSL की ही शाखाएं हैं, लेकिन इनमें वीडियो विश्लेषण की तकनीकी क्षमता मौजूद नहीं है।