राजधानी भोपाल स्थित मंत्रालय में एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्था की पोल खुल गई है। मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के कार्यालय से चांदी की गणेश और लक्ष्मी की मूर्तियां चोरी हो गई हैं। यह घटना मंत्रालय की एनेक्सी-2 बिल्डिंग में स्थित उनके दूसरे फ्लोर के कार्यालय की है। मंत्री जब नियमित पूजा के लिए पहुंचे, तो पाया कि पूजा स्थल से चांदी की मूर्तियां गायब हैं। उन्होंने तुरंत स्टाफ से जानकारी ली, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इसके बाद सुरक्षा अधिकारी अविनाश शर्मा को सूचित किया गया।
इस घटना को हुए करीब डेढ़ महीना हो चुका है, लेकिन अब तक न तो कोई संदिग्ध गिरफ्तार किया गया है, और न ही प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई है। मामले की गंभीरता के बावजूद, प्रशासनिक स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि मंत्रालय की सुरक्षा में गहरी खामियां हैं।

सीसीटीवी फुटेज और जांच भी बनी रहस्य
घटना की जांच के लिए कई सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को खंगाला गया, लेकिन किसी प्रकार का पुख्ता सबूत नहीं मिला। सुरक्षाकर्मी, सफाईकर्मियों और अन्य स्टाफ के बयान दर्ज किए गए हैं, लेकिन किसी पर शक की सुई नहीं टिक सकी है। इतना ही नहीं, सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार अभी तक चोरी की तारीख तक स्पष्ट नहीं हो पाई है।
खुले छोड़ दिए जाते हैं कार्यालय
मंत्रालय परिसर में कई मंत्री सप्ताह में केवल एक या दो दिन ही उपस्थित रहते हैं। उनके गैर-मौजूदगी में कार्यालय खुले छोड़ दिए जाते हैं, जिससे सुरक्षा में सेंधमारी की आशंका और अधिक बढ़ जाती है। पूर्व में इस पर चर्चा हुई थी कि कार्यालयों को लॉक करके रखा जाए, लेकिन आज तक कोई मजबूत लॉकिंग सिस्टम लागू नहीं हो पाया।
अंदरूनी सुरक्षा कैमरों की कमी बनी बड़ी चुनौती
मंत्रालय भवन के भीतर सुरक्षा कैमरों की भारी कमी है। खासकर, मंत्री कक्षों और उनके आस-पास निगरानी के लिए कोई प्रभावी कैमरा प्रणाली नहीं है। यही वजह है कि किसी संदिग्ध की पहचान कर पाना बेहद कठिन हो गया है। इस तरह की घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मंत्रालय की आंतरिक सुरक्षा प्रणाली कितनी कमजोर है।
पुरानी घटनाएं भी दिखाती हैं सुरक्षा का हाल
यह पहली बार नहीं है जब मंत्रालय की सुरक्षा पर सवाल उठे हों। मार्च 2024 में पुराने मंत्रालय भवन में आग लगने की घटना सामने आई थी, जिसमें हजारों अहम दस्तावेज जलकर राख हो गए थे। अब चांदी की मूर्तियों की चोरी ने एक बार फिर मंत्रालय की निगरानी व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है।