एमपी में आईएएस अधिकारियों की कमी, बिगड़ रही प्रशासनिक व्यवस्था, बढ़ रही सीनियर अफसरों की जिम्मेदारी

कई अधिकारी के पास एक साथ तीन से चार विभाग हैं, जिनके कारण विकास नीति को जमीन पर लाने की गति काफी धीमी हो गई है।

Kalash Tiwary
Kalash Tiwary
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MP IAS Officers Shortage : मध्य प्रदेश के प्रशासनिक महकमे में भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारियों की भारी कमी देखी जा रही है। दरअसल प्रदेश में फिलहाल 379 आईएएस अधिकारी ही कार्यरत है जबकि मध्य प्रदेश को कुल 459 आईएएस अफसर की जरूरत है। इनमें से भी 40 अधिकारी केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर है जबकि 10 से ज्यादा अधिकारी प्रशिक्षण पर मसूरी में हैं।

प्रदेश में लगभग 330 अफसर ही ऐसे हैं, जो एक्टिव रूप से कार्य कर रहे हैं। वहीं भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारियों की कमी की भरपाई नहीं होने की वजह से विभागों में लगातार काम का दबाव दोगुना हो रहा है।

अफसर की कमी से व्यवस्था बिगड़ रही है जबकि कई आईएएस अधिकारी ऐसे हैं। जिन्हें डबल ड्यूटी करनी पड़ रही है। बीते 9 महीने में 18 आईएएस अफसर की कमी हो गई और अगले 6 महीने में आठ और आईएएस अधिकारी रिटायर होने वाले हैं। ऐसे में प्रशासनिक व्यवस्था बिगड़ने लगी है। कई काम अटके पड़े हैं जबकि कई विभागों पर काम का बोझ लगातार बढ़ रहा है।

कई अफसरों के पास एक से अधिक विभागों का कार्यभार

कई ऐसे आईएएस अधिकारी हैं, जिन्हें एक से अधिक विभागों का कार्यभार सौंपा गया है। ACS डॉ राजेश राजौरा के पास लोक सेवा प्रबंधन के अलावा सीएम ऑफिस एंड AVDA समेत कई जिम्मेदारी है। इसके अलावा ACS अशोक बरनवाल के पास कृषि उत्पादन आयुक्त के साथ ही वन और सहकारिता जैसी जिम्मेदारी उन्हें अतिरिक्त प्रभार के रूप में दी गई है। ACS संजय दुबे के पास भी साइंस और टेक्नोलॉजी के अलावा कई अन्य विभाग है। जिनका कार्यभार उन्हें अकेले देखना पड़ रहा है जबकि ACS नीरज मंडलोई को पीडब्ल्यूडी और ऊर्जा जैसे बड़े विभागों का कार्यभार संभालना पड़ रहा है।

इतना ही नहीं ACS अनुपम राजन के पास फूड प्रोसेसिंग, उच्च शिक्षा सहित हॉर्टिकल्चर जैसे बड़े विभाग के जिम्मेदारी है जबकि ACS संजय शुक्ला को आवास योजना सहित कई अन्य विभागों की अधिक जिम्मेदारी है। कई अधिकारी के पास एक साथ तीन से चार विभाग हैं, जिनके कारण विकास नीति को जमीन पर लाने की गति काफी धीमी हो गई है।

विकास नीति को जमीन पर लाने की गति धीमी 

योजना और कार्य शैली को आम जनता तक पहुंचने में काफी समय लग रहा है। ऐसे में आईएएस अधिकारियों की कमी का असर आम जनता और प्रदेश के विकास पर भी देखा जा रहा है। प्रशासनिक व्यवस्था से जुड़े विशेषज्ञ के मुताबिक कर्मचारी चयन आयोग जैसे संस्थानों का स्वतंत्र संचालन बेहतर होता है।

समस्या के समाधान के लिए विशेषज्ञों की राय

हालांकि अफसरों की कमी के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा है। अभी समस्या के समाधान के लिए विशेषज्ञों की राय ली गई है। जिनका मानना है कि राज्य का आईएएस कोटा बढ़ाया जाना चाहिए।साथ ही आईएएस प्रमोशन में हो रही देरी को भी रोका जाना चाहिए। समय पर प्रमोशन की प्रक्रिया को पूरा किया जाना चाहिए।

केंद्रीय प्रतिनियुक्ति का कोटा 99 है लेकिन अभी लगभग 40 आईएएस ही प्रतिनियुक्ति पर है।स्थाई समाधान के लिए यूपीएससी से नियमित चयन और राज्य से समय पर आईएएस अवार्ड किया जाना भी आवश्यक है। इन गतिविधियों से प्रदेश में बिगड़ रही व्यवस्था को सुचारू रूप दिया जा सकता है। साथ ही भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारियों की हो रही लगातार कमी को पाटने के लिए इन व्यवस्थाओं पर कार्य करना आवश्यक है।